________________ Shri Mahavir Jain Aradhane Kendra Acharya Shri Kalphagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org संहि. // 86 // दुस्त्वमुग्ने पुरीषवाहण // 44 // शिवोभव / प्रजाब्भ्योमानुपी है। पू.अ. भ्यस्त्वमगिर // माद्यावापृथिवीऽअभिशौचीमान्तरिक्षम्मा / है वनस्पतीन् // 45 // प्रैतु। वाजीकनिऋदुन्नानदुद्दासमुत्पत्वा // भरनग्निम्पुरीष्ष्यम्मापाद्यायुपत्पुरा // वृषाग्निम्वृषणम्भरन्नपाङ्ग भन्समुद्रियम्॥ अग्नऽआयोहिव्वीतये॥४६॥ ऋतसत्त्यमृतक सत्यमग्निम्पुरीष्ष्यमङ्गिरखद्भराम ॥ओषधयप्प्रतिमोदद्धमग्नि है। मेतशिवमायन्तमब्भ्यत्रयुष्ष्माः // व्यस्युन्विश्चाऽअनिराऽअ For Private And Personal