Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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वंदन-अभिनंदन!
उसी तरह आपमें ज्ञान-दर्शन-चारित्र का अद्भूत | देते हुए फरमाते है कि संसार में कुपथ बहुत है परंतु हमें संगम है। ज्ञान के आप अथाह सागर है। आगम एवं सही रास्ते पर चलना है। सहीमार्ग धर्म का मार्ग है जिसमें तत्वों के चिंतन में बहुत गहरे उतरे हैं। दर्शन आपके | अहिंसा संयम व तप हो। इनकी जानकारी करके सही जीवन में बोलता है एवं चारित्र की तो आप साक्षात् रास्ते पर चलना है। हालांकि हमारे सामने कई समस्याएं प्रतिमूर्ति हैं ही।
है, बाधाएँ है, जैसे परिवार की, समाज की, पैसे की, विलक्षण व्यक्तित्व - आपश्री विलक्षण व्यक्तित्व के | व्यापार की परंतु सम्यक् श्रद्धापूर्वक इस मार्गपर चलते धनी हैं। आपका ओजस्वी एवं तेजस्वी व्यक्तित्व हर- रहेंगे तो सभी बाधाएँ व समस्याएँ दूर हो जायेगी। आप एक चाहे वह बच्चा हो, जवान हो, वृद्ध हो सभी को कहते हैं कि ज्ञान का विकास करो क्योंकि उससे ही हमें आकर्षित करता है एवं उनमें जैनधर्म के प्राण फूंकता है। । सही रास्ते पर जाने की प्रेरणा मिलती है। नहीं तो हम श्री सुमनमुनि जी कहते हैं कि
भटक सकते है। जैसे कि आप सामायिक करते है। इस सच्चे जैन बनो - आप अपने प्रवचनों में हर समय | प्रकार निरंतर सामायिक करते२ कई वर्षों बाद समभाव जगने एवं जगाने की बात करते हैं। आप कहते हैं कि आ सकता है अथवा समभाव की प्राप्ति होती है। यह सब आप लोग कर्म से जैन बनो। जन्म से तो आप जैन हो ही | ज्ञान के मार्ग को जानकर उसपर चले तभी यह संभव है। परंतु कर्म से नहीं। लेकिन मैं जन्म से जैन नहीं अपितु कर्म से जैन हूँ। सच्चा जैन वही है जो जिन आज्ञा के
दृढ़ सम्यक् दृष्टि बनो - सम्यक् दृष्टि अर्थात् सही
रूप में देखना, चाहे वह बड़ा हो, छोटा हो, पाप हो, पुण्य अनुसार चले।
हो, सुख हो दुख हो। किसी के प्रति भी ऊंच-नीच का साहसी बनो - जीवन में बाधाएं निराशाएँ एवं कई
भाव न होकर समभाव रखे तभी आत्मा सम्यक्त्व को स्पर्श प्रकार का विपरीत वातावरण आता रहता है परंतु घबराओ
करती है। यह मोक्षमार्ग की पहली सीढ़ी है। एक बार मत, डरो मत । यदि डर जाओगे तो जमाना तुम्हें पछाड़
आत्मा ने सम्यक्त्व को स्पर्श कर लिया तो मोक्ष निश्चित देगा। वे कहते हैं कि मैंने कई बार सुना कि पृथ्वी पर | है। सम्यक दृष्टि जीव संसार में रहता, संसार व्यवहार का प्रलय हो जायेगी। ये सृष्टि खत्म हो जायेगी। आगे
पालन करता हुआ भी धाय माता के समान निर्लिप्त रहता आनेवाला काल विनाश का है। ये भविष्यवाणियां धरी की धरी रह गई। और भविष्यवाणी करनेवाले चले
___ आपने मद्रास (साहूकार पेठ) के चातुर्मास काल में गए। परंतु अब तक सृष्टि के विनाश की ऐसी कोई घटना नहीं घटी। छोटे-मोटे झंझावात तो चलते ही रहते हैं।
ज्ञान का अनुपम अमृत जन-जन को पिलाया। आपकी
वाणी में मधुरता एवं भाषा में सरलता है। जो पहली हमें तो यह विश्वास रखना है कि भगवान महावीर
कक्षा के विद्यार्थी से लेकर बड़े से बड़ा विद्वान् आसानी से का शासन २१००० वर्ष तक चलेगा। और भगवान की समझ सकता है। सरलता इतनी हैं कि आप बड़े से बड़े कही हुई बात असत्य नहीं होती। ऐसी श्रद्धा एवं विश्वास प्रश्न का सहज एवं सरलता से निराकरण कर देते है। रखकर जीना है और मौत से भी नहीं डरना है क्योंकि यदि कोई तर्क करता है तो भी आप अपनी बातों से प्राणी के जीवन में मौत एक बार अवश्य आती है। । उसका उचित समाधान कर देते हैं।
सहीमार्ग पर चले - उत्तराध्ययन सूत्र पर व्याख्यान | आज के हिंसा प्रधान युग में जहां हिंसा का वातावरण
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