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श्रावकधर्मप्रदीप
में विभक्त हैं, जिनके नाम पाक्षिक नैष्ठिक और साधक हैं। पाक्षिक श्रावक का स्वरूप प्रथम अध्याय में लिखा गया है। नैष्ठिक श्रावक प्रथम प्रतिमा से लेकर ग्यारहवीं प्रतिमा तक के सम्पूर्ण श्रावकों को कहते हैं। साधक श्रावकों की कोई अलग प्रतिमा श्रेणी नहीं होती, किन्तु अन्त समय समाधिपूर्वक मरण साधनेवाले पाक्षिक या नैष्ठिक श्रावक ही साधक कहलाते हैं। इस विषय में कुछ ग्रन्थकारों का यह भी मत है कि पहिली से लेकर १० वीं प्रतिमा तक नैष्ठिक हैं और ११ वीं प्रतिमावाले श्रावकगण यथार्थ आत्महित साधक साधु-पद की आराधना और उसे प्राप्त करने का प्रयत्न साधन करने से साधक कहे जायँ तथा समाधिमरण साधनेवाले पाक्षिक या नैष्ठिक भी साधक इसीलिए कहे जाते हैं कि वे अपने जीवन के अन्तिम भाग में जब कि वे इस जीवन के रक्षण में अपने को समर्थ नहीं पाते समाधि साधने का प्रयत्न करते हैं। अर्थात् उक्त साधु पद की आराधना करते हैं जिसे साधने के प्रयत्न के कारण ११ वीं प्रतिमाधारियों को साधक कहा है। तात्पर्य यह कि जो परमार्थपथप्रस्थायी परम वीतराग तपस्वी साधु द्वारा साधी जानेवाली समाधि (रागद्वेष रहित साम्यभाव) को साधने का साक्षात्प्रयत्न करते हैं, वे साधक हैं।
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यद्यपि साधु पद प्राप्त करने की अभिलाषा प्रत्येक श्रद्धावान् श्रावक को होती है क्योंकि मुक्ति लाभ का वास्तविक मार्ग तो वही है। तथापि सभी श्रेणी (प्रतिमा) के आराधक उस साधु पद के साधने का साक्षात् प्रयत्न नहीं करते। उनका साक्षात् प्रयत्न अपनी श्रेणी के आचरण को निर्दोष बनाने और अपने से आगे की श्रेणी को प्राप्त करने के लिए होता है। साधु पद प्राप्ति के मार्ग में वे अवश्य हैं पर उनके लिए वह सुदूर है जब तक कि वे मध्यम श्रेणियों को पूरा नहीं कर लेते। ११ वीं प्रतिमावाले के लिए या समाधिगत व्यक्ति के लिए न तो कोई अन्य श्रेणी है और न समाधिगत व्यक्ति के लिए अब मध्यम श्रेणी प्राप्त करने का समय है, अतः वे दोनों साधु पद के आचरणों का ही अभ्यास करते तथा उसी की भावना करते हैं। समाधिगत प्राणी तो अन्तिम समय में साधु पद प्राप्त भी कर लेता है। यही कारण है कि उन दोनों को साधक मान लिया गया है ।। १६ ।।
इन पाक्षिक और साधकों के सिवाय १ से ११ प्रतिमा तक के आराधक सभी श्रावक नैष्ठिक हैं। इनका सरल स्वरूप तद्विषयक बोध रहित जनता के हित की आकांक्षा से ही प्रेरित होकर श्री आचार्य परम श्रद्धा के साथ इस द्वितीय अध्याय में वर्णन करने की प्रतिज्ञा करते हैं।
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