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श्रावकधर्मप्रदीप
सप्तम प्रतिमा धारण करनेवाले को संसार परिभ्रमण से भीरुता और वैराग्य हो जाता है। संवेग और वैराग्य ही कर्म निर्जरा के हेतु हैं। मुनिव्रत स्वीकार करने के लिए ब्रह्मचर्य व्रत मूलभूत है। बिना ब्रह्मचर्य के मुनि पद के योग्य व्रत रूपी अंकुर उत्पन्न नहीं होता। अतः सर्व प्रकार के प्रयत्न से १८००० शीलव्रत के सम्पादक ब्रह्मचर्य व्रत का स्वीकार करना श्रेष्ठ है। यही सप्तम प्रतिमा का व्रत है।
ब्रह्मचारी पुरुष अपना रहन सहन सादा रखे, भोजन सादा करे, गरिष्ठ आहार जैसे बादाम पिश्ता आदि का सेवन तथा रसायन आदि औषधियों का सेवन न करे, मावा या उसके बने हुए विविध पक्वान्नादि उसके लिए त्याज्य हैं। वृष्येष्टरस त्याग ब्रह्मचर्य की भावना में परिगणित हैं। अर्थात् अपनी सदा भावना ऐसी रखे कि मैं सादा सात्त्विक भोजन करूँगा। पुष्टकर और कामोद्दीपक भोजन नहीं करूँगा। जो ऐसी भावना रखेगा वही ब्रह्मचर्य प्रतिमा का पालन कर सकेगा। कामोत्तेजक पदार्थों के सेवन से शरीर में काम का विकार जागृत होगा और ऐसी स्थिति में साक्षात् व्रत का कठोरता से पालन करते हुए भी स्वप्नादि दशा में व्रत भंग हो जाने की सम्भावना होती है। अतः ऐसे रसों का सेवन ब्रह्मचर्य व्रत का घातक होने से व्रती के लिए दोषास्पद है। भोगों में लम्पटता का सूचक होने से ऐसा भोजन ग्रहण करना भोगोपभोग व्रत का भी अतिचार है। अतः ऐसे पदार्थों का सेवन दूषित है, अतः सेवन न करें। ब्रह्मचारी सादे श्वेत वस्त्र धारण करे। कहीं-कहीं शास्त्रों में भगवा वस्त्र का भी वर्णन है पर भगवा वस्त्र अन्य साधुओं द्वारा भी परिगृहीत है, अतः जैन ब्रह्मचारी की पहिचान उनसे नहीं होती, अतः जहाँ तक हो श्वेत वस्त्र ग्रहण करना उपयुक्त है, तथापि यदि कोई भगवा वस्त्र ग्रहण करे तो वह शास्त्रविरूद्ध नहीं है।
विविध फैशनों के वस्त्रादि पदार्थों का त्याग कर लँगोट, धोती, सादा कुरता या बिना सिला हुआ चादर आदि पास रखना चाहिये। सिर के केश या तो मुंडन कराना उचित है, या सादे बाल रखना उचित है। डाढ़ी, मूंछ रखने की आवश्यकता नहीं है। सुगंधित तेल इत्र तथा अन्य ऐसे सुगंधित पुष्पमाला आदि पदार्थों का ग्रहण भी वर्जित है। पशु, स्त्री तथा पुरुष आदि के कंधों पर चलने वाली सवारी का कदाचित् भी उपयोग न करे। सिनेमा, नाटक, खेल, तमाशे जिनमें ब्रह्मचर्य को दूषित करनेवाले चित्र हों या अभिनय हों न देखे। ऐसे चित्रपट भी अपने पास न रखे, न अपने आवास स्थान में लगावे। ऊनी, रेशमी वस्त्र तथा चमड़े की चीजों का उपयोग तो व्रत प्रतिमा से ही त्याज्य
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