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श्रावकधर्मप्रदीप
कुछ विद्वानों की विवेचना इस सम्बन्ध में ऐसी है कि इस व्रत में यहाँ (द्वितीय प्रतिमा में) सचित्ताहार (एकेन्द्रियादि सचित्ताहार) का त्याग नहीं है। तथापि यदि व्रती अपने भोगोपभोग में ग्रहण करे तो मात्र अतिचार है, व्रतभंग नहीं। यहाँ इसका अतिचाररूपेण त्याग है, व्रतरूपेण नहीं। किन्तु सचित्तत्याग प्रतिमा में व्रतरूपेण त्याग है। यह विवेचना विद्वन्मान्य पं० आशाधर जी ने सागारधर्मामृत में की है। कुछ विद्वानों की यह विवेचना है कि अमर्यादित पदार्थ का सेवन मूलगुणों का अतिचार होना चाहिए, भोगोपभोग परिमाण का नहीं। त्रस सहित पदार्थ के भक्षण का त्याग मूलगुणों में हुआ है। अतः अमर्यादित पदार्थ का सेवन तथा अमर्यादित (छने हुए भी) जल का सेवन मूलगुणों का ही अतिचार होगा।
ये मूलगुण पाक्षिक के ही सातिचार होते हैं ओर प्रथम प्रतिमा में निरतिचार होते हैं, अतः उक्त अतिचार दर्शन प्रतिमा में ही लागू हो सकते हैं, व्रतादि प्रतिमा में नहीं। ___उक्त विवेचनों को ध्यान में रखते हुए इन अतिचारों की सही व्याख्या जानना आवश्यक है। हम ऐसा समझते हैं कि यद्यपि यह सही है कि सचित्ताहार (त्रसादि सहित) का मूलगुणों में त्याग है। अतः अमर्यादित पदार्थों का, जिनमें आगम के आदेशानुसार त्रस की संभावना हो जाती है, प्रमाद से ग्रहण करना अतिचार है। दर्शन प्रतिमा में मूलगूण निरतिचार हैं। अतः यहाँ इन अमर्यादित पदार्थों का सेवन करना छोड़ देना उचित है। यदि प्रमाद से उक्त सेवन हो जाय तो प्रतिमा के लिए अतिचार है। द्वितीय प्रतिमावाले के भी तथा और आगे पंचमादि प्रतिमावालों के भी अतिचारों की संभावना है तथापि वे अतिचार मूलगुणों के ही होंगे न कि भोगोपभोग परिमाण के। तब यहाँ भोगोपभेगपरिमाण में ‘सचित्ताहार' से तात्पर्य क्या है, यह एक विचारणीय प्रश्न रह जाता है।
__ मेरी समझ ऐसी है कि यह भोगोपभोग व्रत है। भोगों और उपभोगों की संख्या नियत नहीं है, अतः इस व्रत में यदि अतिचार होगा तो वह किसी एक पदार्थ के निमित्त से नहीं बताया जा सकता। जिनका इस व्रत में त्याग है, यदि प्रमादतः अतिचार लगेगा तो उन त्यागे हुए विषयों में ही लगेगा। अन्य में नहीं। जब कि त्यागे हुए विषयों में अनेकानेक पदार्थ हैं तब उनमें से किसी एक का नामोल्लेख कर उसे अतिचार में बतलाना यह सूचित करता है कि वह उपलक्षण है, अर्थात् मात्र उदाहरण स्वरूप है। इससे यह फलित हुआ कि यहाँ सचित्ताहार आदि में सचित्त पद उपलक्षण है। तब इसकी व्याख्या
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