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प्राक्कथन ।
[११ और कुसीनारा; (७) चेतीयगण-उत्तरीय पर्वतोंमें अवस्थित था; (८) वन्स या वत्स-रा० कौशाम्बी; (९) कुरु-इन्द्रप्रस्थ; इसके पूर्वमें पाञ्चाल और दक्षिणमें मत्स्य था । रत्थपाल कुरुवंशी सरदार थे; (१०) पाञ्चाल-कुरुदेशके पूर्वमें पर्वतों और गंगाके मध्य अवस्थित था और दो विभागोंमें विभक्त था; रा० धा० कांपिल्य और कन्नौन थीं; (११) मत्स्य-कुरुके दक्षिणमें और जमनाके पश्चिममें या; (१२) मुरसेन-जमनाके पश्चिममें और मत्स्य के दक्षिण-पश्चिममें था; रा० मथुरा; (१३) अस्सक-असन्तीसे परे, रा० धा० पोतली या पोतन; (१४) अवन्ती-रा उज्जयनी; ईसाकी दूसरी शताब्दि तक अवन्ती कहलाई: किन्तु ७वीं, ८वीं शताब्दिके उपरान्त यह मालवा कहलाने लगी; (१५) गान्धार-माजकलका कान्धार है-रा. तक्षशिला, राजा प्राकुसाति और (१६) कम्बोन-उत्तरपश्चिमके टेठ छोरपर थी, राजधानी द्वारिका थी।'
किन्तु उपरान्त म. गौतमबुद्ध के जीवनकालमें कौशलका मधिकार काशीपर होगया था; मङ्गपर मगधाधिपने अधिकार जमा लिया था और मस्सके लोग संभवतः भवन्तीके आधीन होगये थे। इसप्रकार उस समयके भारतकी दशा थी। इनमें मगधराज्य प्रमुख था
और 'शिशुनागवंश के राजा वहां राज्य करते थे । उससमय जैन धर्मके अतिरिक्त वैदिक और बौद्धधर्म विशेष उल्लेखनीय थे । उससमय यहांके निवासियों की संख्या मानसे कम या ज्यादा थी, यह विदित नहीं होता; किन्तु भान भारतकी जनसंख्या तीसकरोड़से मषिक, मिसमें सिर्फ १२०५२३५ जेनी हैं।
१-दुनिस्ट इंडिया पृ. २१। २-मप०, पृ. ६२।
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