________________
शिशुनाग वंश।
[ २५ कुणिक अजातशत्रु अपने समयका एक बड़ा राना था। इसके कुणिक अजातशत्रके राज्यकालकी मुख्य घटनायें यह बतलाई राजकालको मुख्य जाती हैं कि-(१) कौशलदेशके रानाके
घटनाए। साथ अजातशत्रा युद्ध हुमा था; कौशलनरेशने अपनी बहिनका विवाह करके मगधातिपतिसे मैत्री कर ली थी। किन्तु मालूम ऐसा होता है कि इस मैत्रीके होते हुए भी कौशलपर मगधका सिक्का जम गया था; (२) अनातशत्रुने वैशाली (तिरहुत ) परं भी आक्रमण किया था और उसे अपने राज्यमें मिलाकर वह गंग और हिमालयके बीचवाले प्रदेशका सम्राट बन गया था । मि० जायसवाल वैशाचीकी विजय ई० पूर्व ५४० में निर्दिष्ट करते हैं । (नविओमो० भा० १४० ११५) श्वेतांबर शास्त्र कहते हैं कि इस संग्राममें वैशालीकी ओरसे ९ मल्ल, ९ लिच्छवि और ४८ काशी कौशल के गणराजाओंने भाग लिया था। (इंऐ. भा. २११-२१) (३) उसने सोन और गंगा नदियोंक संगमपर पाटीलग्रामके समीप एक किला भी बनवाया था; निससे उपरान्तके प्रसिद्ध नगर पाटलिपुत्रके जन्मका सुत्रपात होगया था;
और (४) यह भी कहा जाता है कि उसके समयमें शाक्य क्षत्रिबोका, जो महात्मा गौतमबुद्धके वंशन थे, बुरी तरह नाश हुमा यो । मथच उसने जैनधर्मको विशेष रीतिसे अपनाया था, यह पहले ही बतलाया माचुका है। बौद्ध न होकर वह खासकर एक
-गदि. ३७-१८. खेताम्बर प्रथ काते है कि कुणिकके भाई रिच्छवियोने उसे नही दिया था इस कारण युद्ध हुमा था। इऐ• मा.
२१ . १।२-साहिह. पृ. ३६ और केहि१० पृ. १६३ । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com