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भगवान महावीरका निर्वाणकाल। । १५९ ईश्वी सन्की प्रारम्भिक शताब्दियों में ही निर्वाणस्थिति वीर निर्वाण सम्वत विषयके इस प्रकार विभिन्न मतों को देख. पहलेसे प्रचलित है कर किन्हीं लोगोंकी धारणा होनाती है
और विभिन्न मत। कि पहले निर्वाण व्द प्रचलित नहीं था । वह बादमें किन्हीं लोगों द्वारा चला दिया गया है। किंतु इस कल्पनामें कुछ भी तथ्य नहीं है। क्योंकि वीर निवाणाव्द ८४ का एक शिलालेख बारली ग्रामसे मिला है जो अजमेरके अनायब घरमें मौजूद है । हतभाग्यसे यह शिलालेख टूटा हुआ अधूरा है । इस कारण उसके आधारपर 'नर्वाणाब्दका पता नहीं चल सक्ता है । तो भी उसमें माध्यमिका नगरीका उल्लेख, निमपर हिन्दुओं अधिकार ई. पूर्व दुमरी शताब्दि तक रहा था, इस बात का द्योतक है कि इस समयके बहुत पहले जब वहांपर नैनों का प्राबल्य था तब यह शिलालेख लिखा गया था। अतएव भगवान महावीरकी निर्वाण तिथि ईस्वी सनसे हजारों वर्ष पहले नहीं मानी जासक्तो । ऐसी मान्यता शेखचिल्लीकी कहानीसे कुछ अधिक महत्व नहीं रखती। अब रही अवशेष मोंकी बात, मो उनपर अलग २ विवेचन करना उचित है । आनल वीरनिर्वाण तिथिके सम्बंध में निम्नलिखित मत मिलते हैं:
(१) शकरानाके उत्पन्न होनेसे ४६१ वर्ष पहले वीर भगबानका निर्वाण हुआ।
(२) शक रानाके होनेसे ६०५ वर्ष ५ महीने पहले वीर. प्रम मोक्ष गए।
(३) ईस्वीसन्से ४६८ वर्ष पहले वीरनिर्वाण हुमा। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com