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संक्षिप्त जैन इतिहास |
इस गणना के अनुसार अर्थात् विक्रमके जन्मसे १७० वर्ष निर्वाणकाल ई० पू० पूर्व (१४५ ई० पू०) वीर निर्वाण मान५४५ में था । नेसे, उसका अजातशत्रुके राज्य काल में ही होना ठीक बैठता है और म० बुद्धका तब जीवित होना भी प्रगट है | अतः यह गणना तथ्यपूर्ण प्रगट होती है । शायद यहांपर यह आपत्ति की जाय कि चूंकि अजातशत्रुका राज्यकालका अंतिम वर्ष ई० पूर्व ५२७ है और म० बुद्धकी देहांत तिथिका शुद्धरूप ई० पू० ४८२ विद्वानोंने प्रगट किया है; इसलिये वीर निर्वाण कोई ई० पूर्व ५२७ वर्षमें हुआ मानना ठीक है । किन्तु पहिले तो यह आपत्ति उपरोक्त शास्त्रलेखोंसे बाधित है । दूसरे अजातशत्रु वीर निर्वाणके कई वर्ष उपरांत तक जीवित रहा था, यह बात जैन एवं बौद्ध ग्रन्थोंसे प्रगट है। इसलिये उनके अंतिम राज्यवर्ष ई० पूर्व ५२७ में वीर निर्वाण होना ठीक नहीं जंचता । साथ ही यदि म० बुद्धकी निघन तिथि ४८० वर्ष ई० पू० थोड़ी देर के लिये मान भी ली जाय तो भगवान महावीरके उपरांत इतने लम्बे समय तक उनका जीवित रहना प्रगट नहीं होता । अन्यत्र हमने भगवान महावीर और म० बुद्धकी अंतिम तिथियोंमें केवल दो वर्षोका अन्तर होना प्रमाणित किया है । डॉ० हाणले सा• इस अन्तरको अधिक से अधिक पांच वर्ष बताते हैं; परन्तु म०बुद और भ० महावीरके जीवन सम्बंध को देखते हुये, यह अन्तर कुछ अधिक प्रतीत होता है । भ० महावीरके जीवन में केवलज्ञान
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१ - जयिओसो ० भा० १ ० ९९-११५ व उपु० । २ - वीर, वर्ष ६ । ३ - आजीविक - इरिइ० ।
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