Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 02 Khand 01
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 318
________________ मौर्य-साम्राज्य। [२९७ शाखाचार्य, प्रोष्ठिळ, क्षत्रिय, जय मादि दस पूर्वधारी मुनि हुये थे। संप्रटिके समयमें संभवतः क्षत्रिय अथवा जयाचार्य विद्यमान होंगे। श्वेताम्बरोंका कथन है कि महावीरजीसे २२८ वर्ष बाद जैन . संघमें गंग नामक पांचवां निहन्व उत्पन्न हुमा सेठ सुकुमाल । ' था; किंतु वह भी निष्फल गया था। उज्जनीके प्रसिद्ध सेठ सुकुमालको भी वह इसीसमय हुये अनुमान करते हैं, परंतु यह बात ठीक नहीं, क्योंकि इससमय मोक्षमार्ग बन्द था । ___ मंप्रतिके बाद मौर्यवंशमें पांच राजा और हुये थे । परन्तु अन्तिम मौर्य राजा और उनके विषयमें कुछ भी विशेष वृतान्त मौर्य साम्राज्यका अन्त । मालूम नहीं होता । इनमें सर्व अंतिम राजा वृहद्रथ नामक थे। सन् १८४ ई० पृ०में यह अपने सेनापति पुष्पमित्रके हाथसे मारा गया था। और इनके साथ ही मौर्य वंशकी समाप्ति होगई ! अशोकके बाद ही मौर्य साम्राज्यका पतन होना प्रारम्भ होगया था, यह हम पहिले लिख चुके हैं। अशोकके उत्तराधिकारियों में कोई इस योग्य नहीं था जो समूचे साम्राज्यकी वाग्डोर अपने सुदृढ़ हाथों में ग्रहण करता । मालूम होता है कि पूर्वीय भागमें अशोकका पोता दशरथ राज्याधिकारी रहा था, और पश्चिमकी ओर संप्रति मुयोग्य रीतिसे शासन करता रहा था। हिन्दु पुराणोंसे विदित है कि इसी समय शुद्ध-वंशने रानविद्रोह किया था। मौर्य साम्राज्यके पतनका यह भी एक कारण था। कट्टर ब्राह्मण अवश्य ही संप्रतिके जनधर्म प्रचारके कारण उनसे असंतान ये। इनके अतिरिक्त और भी कारण थे, जिनके परिणामहप मौर्य : इऐ० भा० २१ पृ. ३३५। २-जैसासं० मा०१ वीर वैश. पृ. .. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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