________________
२४०] संक्षिप्त जैन इतिहास । है कि चंद्रगुप्तके ब्राह्मण मंत्री चाणक्य, जिनको विष्णुगुप्त, द्रोमिल, द्रोहिण, अंशुल, कौटिल्य आदि अनेक नामोंसे संबोधित किया जाता है, एक जैन ब्राह्मणके पुत्र थे। गोल्ल नामक ग्राममें चणक नामक एक ब्राह्मण रहता था। वह पक्का श्रावक था । चणेश्वरी उसकी भार्या थी। चाणक्यका जन्म इन्हींके गृहमें हुमा था। वह भी अपने माता पिताके समान एक श्रमणोपासक श्रावक था। नन्दराजा द्वारा अपमानित होकर उसने राज्यभ्रष्ट चंद्रगुप्तका आश्रय लिया था । उसका साथ देकर वह चंद्रगुप्तके राजा होनेपर स्वयं उसका रान-मंत्री हुमा था। ____ चाणक्यने संभवतः चंद्रगुप्त के लिये राजनीतिका एक अच्छा ग्रन्थ लिखा था। उसका एक अर्वाचीन संस्करण प्राप्त है । वह 'कौटिल्यका अर्थशास्त्र' नामसे छप भी चुका है। इस ग्रन्थमें कई एक ऐसी बातें हैं जो जैनधर्मसे संबंध रखती हैं। पशुओंकी रक्षाका विधान करना, लेखकको अहिंसा धर्मप्रेमी प्रकट करनेको पर्याप्त है। एक जैन विद्वान उसमें खास नैन शब्दोंका प्रयोग हुआ बत३-परि०, पृ. ७७।
चणी चाणक्य इत्याख्यां ददौ तस्यांगजन्मनः । चाणक्योऽपि श्रावकोऽभूत्सर्वविद्यब्धिपारगः ॥ २० ॥ श्रमणोपासकत्वेन स सन्तोष धनः सदा।
कुलीन ब्रह्मणस्यैकामेव कन्यामुपायत ॥ २०१ ॥ इत्यादि ! दिगम्बर जैन ग्रन्थों ( हरिषेण कथाकोष व आक० भा० ३ पृ० ४६) में चाणक्यके पिताका नाम कपिल और उनकी माताका नाम देविला लिखा है। वे वेद पारङ्गत विद्वान थे। महीधर नामक जैनमुनिसे उनने जैन दीक्षा ग्रहण की थी।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com