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संक्षिप्त जैन इतिहास ।
इन्द्रभूति गौतम वीर संघ में प्रमुख गणधर थे। श्री गौतम प्रमुख गणधर इन्द्रभूति अथवा गौतम स्वामीके नामसे भी इनकी गौतम और अग्निभूति प्रसिद्धि है । म० गौतम बुद्ध और गणधर व वायुभूति । इन्द्रभूतिके गोत्र नाम 'गौतम' की अपेक्षा कितने ही विद्वानोंने भ्रम में पड़कर दोनों व्यक्तियोंको एक माना है और बौद्ध धर्मको जैनधर्मसे निकला हुआ बताया है । किन्तु वास्तव में भगवान महावीरजीके समय में म० गौतम बुद्ध, इन्द्रभूति गौतम और न्याय सूत्रोंके कर्ता अक्षयपाद गौतम तीन स्वतंत्र व्यक्ति थे । उनका एक दूसरेसे कोई सम्बंध नहीं था । इन्द्रमृति गौतमका जन्म मगधदेश के 'गौर्वरग्राम' में हुआ था । इनका पिता गौतम गोत्री ब्राह्मण वसुभूति अथवा शांडिल्य था; जो एक सुप्रसिद्ध धनाढ्य प्रतिष्ठित विद्वान और अपने गांवका मुखिया था । और सुलक्षणा स्त्रीके उदरसे इन्द्रभूतिका जन्म हुआ था । इंद्रभूतिके लघु भ्राता अग्निभूति भी पृथ्वी के गर्भ से जन्मे थे; इन दोनों भाइयोंका जन्म सन् ई०के प्रारम्भसे क्रमशः ६२९ वर्ष और १९८ वर्ष पहले हुआ था । इनका तीसरा छोटा भाई वायुभूति था जिसका जन्म वसुभूतिकी दूसरी विदुषी स्त्री केशरीके उदरसे ३ वर्ष पश्चात अर्थात् सन् ई० से १९५ वर्ष पूर्व हुआ था ।
यह तीनों ही भाई सबसे पहले जैनधर्ममें दीक्षित होकर वीर संघ सर्व प्रथम मुनि हुए थे और तीनों ही गणधर पदको सुशोभित करते थे | गौर्वरग्राममें उस समय प्रायः ब्राह्मण लोग ही बसते थे और उनका ही वहांपर प्राबल्य था । किन्तु उनमें गौतमी ब्राह्मण ही बल, वैभव, ऐश्वर्य और विद्वत्ता आदिके कारण अधिक
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