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२६] संक्षिप्त जैन इतिहास । बह राजनीतिमें कितने निपुण थे और उनकी प्रतिष्ठा आसपासके राज्योंमें कितनी थी, यह इसी बातसे अंदानी जासक्ती है कि वह वजियन प्रजातंत्र राज्यके प्रमुख राजा चुने गये थे। पराक्रम और वीरतामें भी वह बड़े चढ़े थे। उस समयके बलवान राना श्रेणिक बिम्बसारसे संग्राम ठानने में वह पीछे नहीं हटे थे और गांधार देशके सत्यक नामक रानासे भी उनकी रणांगण में भेंट हुई थी और वह विजयी होकर लौटे थे। इसी तरह वह धार्मिक निष्ठामें भी सुदृढ़ थे । मिनेन्द्र भगवान की पूजा-अर्चा करना वह रणक्षेत्र में भी नहीं भूलते थे।
राजा चेटकके दश पुत्र थे, जो (१) धन, (२) दत्तभद्र, (३) उपेन्द्र, (४) सुदत्त, (५) सिंहभद्र; (६) सुकुंभोज, (७) अकंपन, (८) सुपतंग, (९) प्रभंजन और (१०) प्रभापके नामसे प्रसिद्ध थे। इन दश भाइयोंकी सात बहिनें थीं। इनमें सबमें बड़ी त्रिशला प्रियकारिणी भगवान महावीरकी माता थीं। अवशेष मृगावती, सुप्रभा, प्रभावती, चेलिनी, ज्येष्ठा और चंदना नामक थीं।
मृगावतीका विवाह वत्सदेशके कौशाम्बीनगरके स्वामी चंद्रराजा शतानीक और वंशी राजा शतानीक के साथ हुआ था। वत्सराज उदयन् । इनके पुत्र वत्सराज उदयन् उप समयके राजाओंने विशेष प्रसिद्ध थे । उज्जैनीके राजा चंडपद्योतन्की राजकुमारीसे इन्होंने बड़ी होशियारीसे विवाह कर पाया था । वत्सराजकी इस प्रेमकथाको लेकर 'स्वप्न वासवदत्त' नाटक मादि ग्रंथ रचे गए हैं । शतानीक परम जैनधर्म भक्त थे। जिस समय भगवान
१-उ० पु०, पृ० ६३४-६३५ । २-उ• पु. पृ० ६३५ । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com