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ज्ञात्रिक क्षत्री और भगवान महावीर |
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ब्रह्मचर्य अवस्था में राजसुखका उपभोग करके भगवान महाभगवान महावीरका वीरने गृहत्याग किया था। इससमय इनकी गृहत्याग । अवस्था करीब तीन वर्षकी थी। उन्होंने उससमयके राजोन्मत्त राजकुमारों और आजीविकों एवं ब्राह्मण ऋषियों जैसे साधुओं को मानो पूर्ण ब्रह्मचर्यका महत्त्व हृदयंगम तो दिगम्बरान्नायके शास्त्र उसका उल्लेख न करते जब व अन्य तीर्थकरोंका विवाह हुआ लिखते है । बौद्ध ग्रन्थों में भी भगवानकी पुत्री आदिका कुछ उल्लेख नहीं मिलता है। श्वेताम्बर शास्त्रों में भगवानकी जीवनीका चित्रण बहुत कुछ म० बुद्ध के जीवनचरित्र के ढंगपर हुआ है । ऐसा विदित होता है कि पाली पिटकों को सामने रखकर वे० ग्रंथोकी रचना ई० की टी श० में हुई है । इसका सप्रमाण वर्णन हम अगाड़ी करेंगे । यहां इतना बतला देना पर्याप्त है भी इस वातको स्वीकार करते हैं कि श्वेताम्बरीने वृतान्त म० बुद्ध के जीवनचरित्र के अनुसार और उसीके आधारसे लिखा है । ( इन्डियन से ऑफ दी जेन्स, पृ० ४५ ) ' ललितविस्तर' और 'निदानकथा' नामक बौद्धग्रन्थोंमें जैसा चरित्र गौतम बुद्धका दिया हुआ है: उससे ताम्गे द्वारा वर्णित भ० महावीर के चरित्रमें कई बातों में सादृश्यता है | (केहि० १० १५६) उदाहरण के तौरपर देखिये, यह सादृश्य जन्म से ही प्रारम्भ होजाता है । म० वृद्धके विषयमें कहा गया है कि उनको मालूम था, वह स्वर्गसे चय होकर के अमुक रीतिसे जन्म धारण करेंगे। भ० महावीर के सम्बन्धमें भी श्वेताम्बर ग्रन्थ यही कहते हैं कि उनको अपने आगमनका ज्ञान तीन प्रकार से था । युवावस्थाको लीजिये तो जैसे बौद्ध कहते हैं कि बुद्धका विवाह यशोदा नामक राजकन्या से हुआ था, वैसे ही इंवेताम्बर भी बतलाते है कि महावीरजी का विवाह मशोदरा नामक राजकुमारीसे हुआ था । वेताम्बर शास्त्र कहने है कि भगवानके माता पिताने उनको दीक्षा ग्रहण करनेसे रोका था;
कि पाश्चात्य विद्वान् महावीरजीका जीवन
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युद्धके सम्बन्धमे यही कहा जाता है। वेताम्बरोका मत है कि भगवाShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com