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जीव क्षण भंगुर अज्ञेयक खरूपी ज्ञान, ऐसी ऐसी एकांत अवस्था मूढ पांही है ॥ १२ ॥ १ ज्ञेय नय-ज्ञान उपजनेका कारण ज्ञेय ( वस्तु ) है ताते ज्ञेय यह एक नय है. २ त्रैलोक्यात्म नय-आत्मा त्रैलोक्य प्रमाण है ताते त्रैलोक्यात्म यह एक नय है. ३ वहज्ञान नय-जैसे वस्तु अनेक है तैसे ज्ञानहूं अनेक है ताते वहुज्ञान यह एक नय है. ४ ज्ञेय प्रतिबिंव नय-ज्ञानमें वस्तु प्रतिबिंबित होय है ताते ज्ञेय प्रतिबिंब यह एक नय है. ५ ज्ञेय काल नय-जबलग ज्ञेय है तबलग ज्ञान है ताते ज्ञेयकाल यह एक नय है. ६ द्रव्यमय ज्ञान नयं-सर्वद्रव्यकू आत्मा जाने है ताते द्रव्यमय ज्ञान यह एक नय है. ७ क्षेत्रयुत ज्ञान नय-ज्ञेयके क्षेत्र प्रमाण ज्ञान है ताते क्षेत्रयुतज्ञान यह एक नय है. ८ नास्तिजीव नय-जीवमें जीव है जगतमें जीव नहीं ताते नास्ति जीव यह एक नये है. ९ जीवोद्घात नय-देहका नाश होते जीव देहते निकसे ताते जीवोद्घात यह एक नय है. १० जीवोत्पाद नय-देह उपजे तव देहमें जीव उपजे ताते जीवोत्पादनामे एक नय है. .. ११ आत्मा अचेतन नय-ज्ञान अचेतन है ताते आत्मा अचेतन यह एक नय है, १२ सत्तांश नय-सत्तांशमय जीव है ताते सत्तांश यह एक नय है. १३ क्षणभंगुर नय-जीव क्षणक्षणमें परिणमें है ताते क्षणभंगुर यह एक नय है. १४ अज्ञायक ज्ञान नय-ज्ञान है सो ज्ञायक स्वरूप नहीं है ताते अज्ञायक ज्ञान यह एक नय है. ऐसे नय है इसिमें जो कोई एक नया ग्रहण करे अर वाकीके नयळू छोडे सो एकांती मूढ है ॥१२॥
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