Book Title: Samaysar Natak
Author(s): Banarsidas Pandit, Nana Ramchandra
Publisher: Banarsidas Pandit

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Page 519
________________ समय- अर्थ-तीन मकार- मांस, दारु, अर मध, पंच उंबरोंके फल-उंबरके फल, बडके फल, पिंपळके , सार. । फल, कळंबर (पिपरण) के फल, पाकर ( नांद्रुक) के फळ, [ये आठ वस्तु नहि भक्षण करना सो अ०१३ ॥१३९॥ ॐ सम्यक्तके आठ मूळ गुण है ] कंद मूल, अगालित जल, रात्रि भोजन, बहुबीज, बैंगण, संधाणा, 5 वीष, माटी, सूक्ष्म फल, अजाण फल, पत्र उपरका तुषार, चलित रस, माखण, बिदल, ये बाईस है ६ वस्तु खाने योग्य नहीं ऐसे जिनमतमें कह्या है ॥ ५४॥ ॥ अव पांचवे गुणस्थानमें ग्यारह भेद है तिनके नाम कहे है। दोहा ॥ ३१ सा ॥अब पंचम गुणस्थानकी, रचना वरणु अल्प । जामें एकादश दशा, प्रतिमा नाम विकल्प ॥५५॥ १ दर्शन विशुद्ध कारी बारह वरत धारि । सामाइक चारी पर्व पोषध विधि वहे ॥ सचित्तको परहारी दिवा अपरस नारि, आठो जाम ब्रह्मचारी निरारंभी व्है रहे ॥ पाप परिग्रह छंडे पापकी न सिक्षा मंडे, कोउ याके निमित्त करेसो वस्तु न गहे ॥ येते देशव्रतके धरैया समकीति जीव, ग्यारह प्रतिमा तिने भगवंतजी कहे ॥ ५६ ॥ अर्थ-पंचम गुणस्थानमें ग्यारह प्रतिमा है सो चारित्रके भेदते है तिनके नाम कहे है ॥ ५५॥ दर्शन विशद्धि प्रतिमा ॥ १॥ व्रत प्रतिमा ॥२॥ सामायिक प्रतिमा ॥ ३ ॥ प्रोषध प्रतिमा ॥४॥ सचित्त त्याग प्रतिमा ॥ ५॥ दिवा मैथुन त्याग रात्रिभुक्ति त्याग प्रतिमा ॥ ६॥ ब्रह्मचर्य प्रतिमा ॥७॥ आरंभ त्याग प्रतिमा ॥ ८॥ पापका परिग्रह त्याग प्रतिमा ॥९॥ पापका उपदेश त्याग प्रतिमा ॥१०॥ अगांतक भोजन प्रतिमा ॥ ११ ॥ ऐसे देशव्रत (पंचअणुव्रत) के धारक सम्यक्ती जीवकी ग्यारह ६ ॥१३९॥ प्रतिमा (प्रतिज्ञा ) भगवंतजीने कही है ॥ ५६ ॥ RECENTREAGARIKSHREEKRISANSARKARSex RESPECANCE989+0EOSROGRESSk%

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