________________
मय
REMEMOR
२०.
र अर्थ-हमारे हृदयमें महा अज्ञान मोहका भ्रम था ताते हमने जीव घातकी करुणा नहि कीनी। सार.
मैने हिंसादिक पाप कीये अर दुसरे लोकनिको पाप करनेका उपदेश दीया तथा कोई - पाप करता ॥१०॥ ६ होय तिसकूँ साह्यता करतो हतो । ऐसे मन वचन अर कायासे उन्मत्त होय पापकर्म कमाये अर
दू अज्ञानरूप भ्रम जालमें दौरत फियो ताते हम पापी कहायो । अब ज्ञानका उदय होते हमारी 8 हूँ अवस्था ऐसी भई है की जैसे सूर्यका उदय होते प्रातःकालकी अवस्था उद्योतवंत होय अर अंध-14 * कार भागे है ॥ ९॥
॥ अव ज्ञानका उदै होते अज्ञान अवस्था भागे तिसळू स्वप्नका. दृष्टांत कहे है ॥ सवैया ३१ सा ॥
ज्ञान भान भासत प्रमाण ज्ञानवान कहे, करुणा निधान अमलान मेरा रूप है ॥ : कालसों अतीत कर्मचालसों अभीत जोग, जालसों अजीत जाकी महिमा अनूप है। ६ . मोहको विलास यह जगतको वास में तो, जगतसों शून्य पाप पुन्य अंघ कूप है ॥ हूँ पाप किने किये कोन करे करिहै सो कोन, क्रियाको विचार सुपनेकी दोर धूप है ।। ९१॥
अर्थ-ज्ञानरूप सूर्यका उदय होतेही ज्ञानी ऐसे समझे है की, मेरा स्वरूप करुणा. निधान अर हूँ । निर्दोष है। मृत्युसे अतीत अर कर्मबंधसे भय रहित है, तथा मन वचन अर कायाके योगसे अजीत है
है ऐसी मेरी महिमा अद्भत है। इस जगतमें मेरा निवास दीखे है पण सो मोहका विलास है मेरा है विलास नहीं, मैं जन्ममरणसे रहित है अर यह पाप तथा पुन्य है सो मेरेकू अंधकूप समान भासे है। २०४॥
ये पापकर्म पूर्वी किसने किये आगे कोण करेगा अर अब करे है सो कोण है, ऐसे क्रियाका विचार . हूँ करे तब ज्ञानीकू स्वप्नके अवस्था, समान सब मिथ्या दीसे है ॥ ९१ ॥..
REACHESTEGORIESUSMS
R ENA%A9N-ALINCHES