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समय- ॥११॥
RSARDARSHANKARRUGRESCRIGANGRECORER
क्षासें विचार करिये तो सर्व वस्तु अस्तिरूप है। अर परके चतुष्टय अपेक्षासे वस्तुकू नास्तिरूप निपजे 'सार. * है, जैसे परद्रव्य परक्षेत्र परकाल अर परभाव अपेक्षासे सर्व वस्तु नास्तिरूप है ये निश्चय नयते अस्ति है
अ० ११ * अर नास्ति कह्या तिनका भेद द्रव्यमें अर पर्यायमें जाना जाय है । द्रव्यकू वस्तु कहिये अर वस्तुके । - सत्ताकू क्षेत्र कहिये अरे वस्तुके परिणमनकू काल कहिये, अर वस्तुके मूल शक्तीवू स्वभाव कहिये। - इस प्रकार बुद्धीसे स्वद्रव्य अर परद्रव्यकू क्षेत्रादिककी कल्पना करना, सो व्यवहार नय भेद है ॥१०॥
है नांहि नाहिसु है, है है नांहि नाहि । ये सवंगी नय धनी, सब माने सब मांहि ॥ ११॥ * अर्थ-ये वस्तु है ऐसे कहे सो स्वद्रव्यका अस्तिपणा ममजना ॥१॥ ये वस्तु नांही ऐसे कहे ९
सो परद्रव्यका नास्तिपणा समजना ॥ २॥ वस्तु है नांहिं ऐसे कहे तो प्रथम अस्ति नंतर नास्ति , समजना ॥ ३ ॥ ये वस्तु नांहि है ऐसे कहे तो प्रथम नास्ति नंतर अस्ति समजना ॥ ४॥ ये वस्तु है है ऐसे कहे तो स्वद्रव्य अर पर द्रव्य अस्ति समजना ॥ ५॥ ये 'वस्तु नांहि नांहि ऐसे कहे तो 'वद्रव्य अर परद्रव्य नास्ति समजना ॥ ६॥ ये वस्तु कथंचित् है नांही ऐसे कहे तो प्रथम कथंचित् . 8 अस्ति नंतर कथंचित् नास्ति समजना ॥ ७॥ ऐसे सांत भाग होय है सो सांत भाग सर्वांग नयका * धनी ( स्याद्वादी ) सर्व वस्तुमें मानें है ॥ ११॥
॥अंव चतुर्दश (१४) नयके नाम कहे है ॥ सवैया ॥ ३१ साहूँ. ज्ञानको कारण ज्ञेय आतमा त्रिलोक मय, ज्ञेयसों अनेक ज्ञान मेल ज्ञेय छांही है ॥
8 ॥११॥ जोलों ज्ञेय तोलों ज्ञान सर्व द्रव्यमें विज्ञान, ज्ञेय क्षेत्र मान ज्ञान जीव वस्तु नांही है। देह नसे-जीव नसे देह उपजत से, आतमा अचेतन है सत्ता अंश मांही है ॥
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