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समय-1 षटं प्रतिमा ताई जघन्य, मध्यम नव पर्यंत । उत्कृष्ट दशमी ग्योरमी, इति प्रतिमा विरतंतः ॥७॥
It अर्थ-जो घर कुटुंबादिककू छोडके स्वछंद वर्ते अरं मठमें वा आरण्यमें वास करे । तथा भिक्षासे है अ० १३ - योग्य आहार लेय भोजन करे सो क्षुल्लक वा एलक ग्यारवी प्रतिमाधारी है ॥ ७० ॥ ऐसे ग्यारह प्रति-* 5 माके भेद पांचवे देशव्रत गुणस्थानमें कहे । सो मूलसे अनुक्रमे ग्रहण करते करते आगे जाय अर जो 15 ग्रहण करे सो छोडे नही ऐसे इसिकी विधि है ॥ ७१ ॥ छठि प्रतिमा पर्यंत जघन्य प्रतिमा है अर ६ सातवी आठवी तथा नवमी मध्यम प्रतिमा है । दशवी अर ग्यारवी उत्तम प्रतिमा है ॥ ७२॥
॥ अब पांचवे गुणस्थानका काल कहे है ॥ चौपाई ॥दोहा॥- . . एक कोटि पूरव गणि लीजे । तामें आठ वरष घटि दीजे ॥ . यह उत्कृष्ट काल स्थिति जाकी । अंतर्मुहूर्त जघन्य दशाकी ॥ ७३ ॥ सत्तर लाख किरोड मित, छप्पन सहज किरोड। येते वर्ष मिलायके, पूरव संख्या जोड॥७॥
अंतर्मुहूरत बै घडी, कछुक घाटि उतकिष्ट । एक समय एकावली, अंतर्मुहूर्त कनिष्ट ॥ ७५॥ ॐ यह पंचम गुणस्थानकी, रचनाकही विचित्र । अब छठे गुणस्थानकी, दशा कहुं सुन मित्र ॥७॥ भू अर्थ-पांचवे गुणस्थानका उत्कृष्ट स्थितिकाल आठ वर्ष कम एक कोटि पूर्वका है। अर जघन्य है है स्थितिकाल अंतर्मुहूर्तका है ॥ ७३ ॥ सत्तर लाख कोटि वर्ष अर छप्पन हजार कोटि वर्ष ७०.५६
..........। इह दोनूं संख्या मिलाइये तव एक पूर्वकी संख्या होय है ॥ ७४ ॥ दोय घडीमें ॥१४॥ कछु कमी सो उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त है अर एक आवली उपर एक समय सो जघन्य अंतर्मुहर्त है ॥७॥ ॐ ऐसे पांचवे देशव्रत (अणुव्रतके) गुणस्थानकी विचित्र रचना कही सो समाप्त भई ॥ ७६ ॥५॥.
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