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समय
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अर्थ - तीन मकार- मांस, दारु, अर मध, पंच उंबरों के फल - उंबरके फल, बड़के फल, पिंपळके फल, कटुंबर ( पिपरण) के फल, पाकर (नांद्रुक) के फळ, [ ये आठ वस्तु नहि भक्षण करना सो सम्यक्तके आठ मूळ गुण है ] कंद मूल, अगालित जल, रात्रि भोजन, बहुबीज, बैंगण, संघाणा, वीष, माटी, सूक्ष्म फल, अजाण फल, पत्र उपरका तुषार, चलित रस, माखण, बिदल, ये बाईस वस्तु खाने योग्य नही ऐसे जिनमतमें कह्या है ॥ ५४ ॥
॥ अब पांचवे गुणस्थानमें ग्यारह भेद है तिनके नाम कहे है ॥ दोहा ॥ ३१ सा ॥अब पंचम गुणस्थानकी, रचना वरणु अल्प । जामें एकादश दशा, प्रतिमा नाम विकल्प ॥ ५५ ॥ दर्शन विशुद्ध कारी बारह वरत धारि । सामाइक चारी पर्व प्रोषध विधि वहे ॥ सचित्तको परहारी दिवा अपरस नारि, आठो जाम ब्रह्मचारी निरारंभी व्है रहे ॥ पाप परिग्रह छंडे पापकी न सिक्षा मंडे, कोउ याके निमित्त करेसो वस्तु न गहे ॥ येते देशव्रतके धरैया समकीति जीव, ग्यारह प्रतिमा तिने भगवंतजी कहे ॥ ५६ ॥ अर्थ — पंचम गुणस्थानमें ग्यारह प्रतिमा है सो चारित्रके भेदते है तिनके नाम कहे है ॥ ५५ ॥ दर्शन विशुद्धि प्रतिमा ॥ १ ॥ व्रत प्रतिमा ॥ २ ॥ सामायिक प्रतिमा ॥ ३ ॥ प्रोषध प्रतिमा ॥ ४ ॥ सचित्त त्याग प्रतिमा ॥ ५ ॥ दिवा मैथुन त्याग रात्रिभुक्ति त्याग प्रतिमा ॥ ६ ॥ ब्रह्मचर्य प्रतिमा ॥७॥ आरंभ त्याग प्रतिमा ॥ ८ ॥ पापका परिग्रह त्याग प्रतिमा ॥ ९ ॥ पापका उपदेश त्याग प्रतिमा ॥ १० ॥ अगांतुक भोजन प्रतिमा ॥ ११ ॥ ऐसे देशव्रत ( पंचअणुव्रत ) प्रतिमा ( प्रतिज्ञा ) भगवंतजीने कही है ॥ ५६ ॥ धारक सम्यक्ती जीवकी ग्यारह
सार. अ० १३
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