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तदनन्तर करोड़ों वर्ष बाद यशस्वान नामक ९ वें कुलकर हुए । इनकी आयु कुमुद असंख्यात प्रमाण वर्ष की थी। उनकी शरीर की ऊँचाई ६५० धनुष थी। इनके जमाने में प्रजा अपनी संतान का बाल्यकाल देखने लगी थी ।
इसके करोड़ों वर्ष बाद अभिचन्द्र नामक दसवें कुलकर हुए । इनकी आयु भी असंख्यात वर्ष की थी । ये ६२५ धनुष ऊँचे थे । इनके समय में प्रजा अपनी संतान को चन्द्रमा दिखाकर मनोरंजन करने लगे थे।
इसके करोड़ों वर्ष बाद चन्द्राभ नामक ग्यारहवें कुलकर हुए । इनकी आयु भी असंख्यात वर्षों की थी । इनका शरीर ६०० धनुष ऊँचा था । इनके समय में प्रजा संतान का सुख पाने लगी थी ।
असंख्यात वर्षों बाद बारहवें कुलकर मरुदेव हुए। इनकी आयु भी असंख्यात वर्ष की थी। शरीर की | ऊँचाई ५७५ धनुष थी । इनके समय में प्रजा संतान के साथ बहुत समय तक रहने लगी तथा नदी-नालों पहाड़ों | के चढ़ने एवं पार करने के उपाय बताये। इनके समय यदा-कदा बरसात भी होने लगी थी । कर्मभूमि का काल निकट आ चला था ।
इसके बाद कुछ समय बीतने पर तेरहवें कुलकर प्रसेनजित हुए । इनकी आयु एक पर्व प्रमाण थी । शरीर की ऊँचाई ५५० धनुष थी । इनके समय में बालक जरायुज (शरीर के ऊपर की झिल्ली) सहित पैदा होने लगे थे। इन्होंने उस नवजात शिशु को झिल्ली फाड़कर निकलाने की विधि बताई ।
इसप्रकार इसी क्रम में महाराज नाभिराज चौदहवें कुलकर थे । उन चौदह कुलकरों (मनुओं) के नाम एवं संक्षिप्त जानकारी इसप्रकार है -
पहले प्रतिश्रुति, दूसरे सन्मति, तीसरे क्षेमंकर, चौथे क्षेमंधर, पाँचवें सीमंकर, छठें सीमंधर, सातवें
विमलवाहन, आठवें चक्षुष्मान, नौवें 'यशस्वान्, दसवें अभिचन्द्र, ग्यारहवें चन्द्राभ, बारहवें मरुदेव, तेरहवें
प्रसेनजित् और चौदहवें नाभिराज ।
पहले प्रतिश्रुति ने सूर्य चन्द्रमा के देखने से भयभीत हुए मनुष्यों के भय को दूर किया था, तारों से भरे
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