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१४ : पीयूष घट
कृष्ण, आज माता देवकी के चरण वन्दन करने आया था। परन्तु माता की उदासी और खिन्नता वह देख नहीं सका। पत्र माता के दुःख को सह नहीं सकता । उदासी का कारण समझा तो कृष्ण ने कहा : ___ "माँ ! तुम चिन्ता मत करो। तुम्हारी अभिलाषा पूरी होगी। मेरा आठवाँ भाई होगा। उसका तुम लाड़-प्यार और दुलार करना।'
तेला करके कृष्ण ने हरिण गमेषी देव की आराधना की। प्रसन्न होकर देव ने कहा :
"मैं आपका यह कार्य कर सकता हूँ। पर एक शर्त के साथ देवकी के पुत्र अवश्य होगा, परन्तु तरुण होने पर वह दीक्षा लेगा।"
बुद्धिमान वर्तमान को साधते हैं। भविष्य की चिन्ता नहीं करते । ठीक समय पर देवकी ने एक सुन्दर, सुकुमार और कान्त पत्र को जन्म दिया। जीवन की साध पूरी हुई। गज-तालु के समान सुकोमल होने से उसका नाम गजसुकुमार रखा गया ।
-अन्त० व० ३ अ०६/.
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