Book Title: Piyush Ghat
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 182
________________ उम्बर दत्त धर्म का मूल विवेक है। बिना विवेक के धर्म स्थिर नहीं होता। क्या करना, क्या नहीं करना ? क्या देना, क्या नहीं देना ? क्या खाना, क्या नहीं खाना ? यह सब विवेक से जानना चाहिए। पाटल खण्ड नगर में सिद्धार्थ राजा था। उसी नगर में सागर दत्त एक सार्थवाह राजा था। उसकी पत्नी गंगादत्ता और पुत्र उम्बर दत्त था। भगवान महावीर पाटल खण्ड नगर के बाहर विराजित थे। गणधर गौतम गोचरी लेकर लौट रहे थे। मार्ग में उन्होंने देखा एक भिखारी है, जिसके अंग-अंग से कोढ़ फूट रहा है। रक्त और पीप बह रहा है। मानव की होन दशा पर गौतम को गहरी चिन्ता होने लगी। प्रभु से जाकर पूछा-"भंते ! यह कौन है, और क्यों ऐसा हो गया है ?" भगवान् ने शान्त स्वर में कहा___"विजयपुर नगर में कनकरथ राजा था। धन्वन्तरि वहां एक वैद्य था। वह रोगियों की चिकित्सा किया करता था। पथ्य के लिए वह रोगी को कच्छप, मुर्गा, खरगोश, हिरन, कबूतर, तीतर Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org

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