Book Title: Piyush Ghat
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 181
________________ १७२ : पीयूष घट जीवन की ममता भी कभी मनुष्य को गलत रास्ते पर जाने से रोक लेती है । चित्र राजभय से काँप गया । सारी बात राजा से कह दी । श्री दास ने नन्दी वर्धन को तप्त लोह सिहासन पर बैठाकर, उबलता शीशा और तांबा उसके सिर पर डालकर उसका अभिषेक किया। राज्य लोभ ने पिता और पुत्र के जीवन में कितना भयंकर उलट-फेर कर दिया । गणधर गौतम ने नन्दी वर्धन के जीवन के सम्बन्ध में पूछा और भगवान् ने पूर्व तथा उत्तर भवों का वर्णन करके कहा"अनन्त संसार के परिभ्रमण के बाद वह महाविदेह से सिद्ध, बुद्ध और मुक्त होगा ।" Jain Education International - विपाक श्रु० ० १, अ० ६ / For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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