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१७८ : पीयूष घट पुत्र सिंहसेन था। अपनी श्यामा रानी को प्रसन्न रखने के लिए इसने अपनी दूसरी रानियों को जलाकर मार डाला था। इस भंयकर पाप के कारण सिंहसेन नरक में गया। वहाँ से अब यह देवदत्त बना हैं । यहाँ आकर भी उसकी भोग-लालसा शान्त नहीं हई। पूष्प नन्दी की माता श्री देवी को अपने भोग में बाधक समझकर इसने उसे कुमृत्यु से मार डाला। पता लगने पर पुष्प नन्दी ने देवदत्ता को यह कठोरतम दण्ड दिया है।" ___ “अनन्त संसार के बाद यह महाविदेह से सिद्ध, बुद्ध और मुक्त होगी।"
विपाक श्र० १, अ० ६.
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