________________
साहसे लक्ष्मीर्वसति
भूमि को वसुन्धरा कहा जाता है। कदम-कदम पर इस में सम्पदा भरी पड़ी है। परन्तु भाग्यवान को ही वह प्राप्त होती है, पुण्यहीन को नहीं । धन प्राप्ति की अपेक्षा धन संरक्षण में अधिक क्लेश रहता है।
इधर-उधर घूमता एक दीन-दरिद्र कणिक रत्नद्वीप जा पहुँचा । वहीं उसने प्रचुर मात्रा में सुन्दर और बहुमूल्य रत्नों को देखा, वह अपने भाग्य पर चकित था। उसने रत्नों को तो एकत्रित कर लिया, परन्तु घर ले जाने की समस्या उसके सन्मुख थी। क्योंकि मार्ग लम्बा, विकट और चोरों के उपद्रव से युक्त था। ___मनुष्य का सबसे बड़ा साथी है उसकी बुद्धि, जो विपत्ति में उसका साथ ही नहीं देती, बल्कि उसे सही रास्ता भी बता देती है। वणिक ने रत्नों को छपाकर रख दिया और अपनी झोली में पत्थर भरकर चोरों के सामने से निकलता। चोरों ने उसे दो चार बार टोका भी, रोका भी, उसकी झोली में पत्थर देखकर उसे छोड़ दिया। बाद में उन्होंने उसे टोकना रोकना छोड़ दिया।
वणिक चतुर था। अवसर पाकर वह रत्नों को निकाल ले गया । परन्तु अभी संकटों सा अन्त नहीं था। एक विकट वन में
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org