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१७६ : पीयूष घट था । वहाँ से आयु पूरी करके नरक में गया। वहाँ से फिर यह यहाँ पर समुद्रदत्ता का पुत्र बना है। वर्तमान भव में भी मांस खाता रहा । मच्छी का कांटो गले में फँस जाने के कारण उसकी यह करुण दशा बन गई है। अनन्त संसार का परिभ्रमण करने के बाद यह महाविदेह से सिद्ध होगा।"
भोजन मनुष्य जीवन की एक अनिवार्य आवश्यकता है। परन्तु वह मांस के सर्वथा परित्याग से भी पूरी की जा सकती है। मांस भोजन का दारुण फल यहाँ पर बताया गया है।
-विपाक श्र० १, अ०/०
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