Book Title: Piyush Ghat
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 186
________________ देवदत्ता नारी का हृदय कोमल भी है, और कठोर भी। वह अपने सुख-विलास में किसी को बाधक नहीं होने देना चाहती। अपने स्वार्थ के लिए नारी भयंकर से भयंकर पाप कर सकती है। सद्भावना जागने पर वह बड़े से बड़ा त्याग भी कर सकती है। नारी अमृत भी है, और विष भी। रोहोड़ नगर में वैश्रमणदत्त राजा राज्य करता था। श्रीदेवी रानी थी। और पुष्प नन्दी राजकुमार था। इसी नगर में दत्त नाम वाला एक गाथापति भी था। उसकी पत्नी का नाम था कृष्णश्री। देवदत्ता उसके एक पुत्री थी। वह सुन्दरी और रूपवती थी। धन का मद, और रूप का मद मनुष्य को पागल बना डालता है। ___ नगर के बाहर बाग में भगवान् महावीर विराजित थे। इन्द्रभूति गौतम भिक्षा लेकर लौट रहे थे। मार्ग में उन्होंने एक अत्यन्त दयनीय दृश्य देखा___“राजपुरुषों से घिरी हुई एक नारी थी। बन्धनों से बँधी हुई थी। उसके कान, नाक और स्तन कटे हुए थे। रुधिर बह रहा था गोतम ने पूछा-"भंते, यह क्या बान है ?" भगवान् ने कहा___"यह नारी, देवदत्ता है। राजकुमार पुष्प नन्दी की रानी है। अपने पूर्व के भव में यह सुप्रतिष्ठ नगर के राजा महासेन का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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