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१७० : पीयूष घट
साथ अपकर्म करते देखा, और क्रुद्ध होकर कठोर दण्ड का आदेश दिया।
गणधर गौतम ने बृहस्पति के करुण दृश्य को देखकर भगवान् से पूछा। भगवान् ने बृहस्पति के पूर्व भव का और उत्तर भवों का वर्णन किया
"अनन्त काल तक संसार में परिभ्रमण करके वह अपनो साधना से संयम का पालन करके सिद्ध होगा।"
पर नारी में आसक्त मनुष्य के जीवन की क्या दशा होती है ? यह यहाँ भली-भाँति देखा जा सकता है।
-विपाक श्रु० १, अ०५/.
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