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शकट कुमार
वासना पर विजय पाना मनुष्य का लक्ष्य होना चाहिए। सुन्दरी के स्नेह-पाश में बद्ध होकर कौन सुखी हो सका है !
सोहंजनी नगरी में महाचन्द्र राजा राज्य करता था। सुभद्र श्रेष्ठी और उसकी पत्नी भी इसी नगरी में रहते थे। भद्रा ने एक पुत्र को जन्म दिया । नाम रखा-शकट कुमार । नगरी में सुदर्शना एक वेश्या भी थी। उस पर शकट अत्यन्त आशक्त था । अमात्य भी सुदर्शना की रूप-राशि पर मुग्ध था।
शकट अपने माता-पिता के मरने पर उद्धत, कठोर और स्वच्छन्द हो गया था। वर्तमान जीवन पूर्व के संस्कारों का फल है।
छगलपुर से सिंहगिरि राजा राज्य करता था। वहाँ पर छनिक नाम वाला कसाई भी रहता था। बकरा, मेंढा, गाय, भैंस और हरिण आदि जीवों को मारकर उनका मांस बेचा करता था। पाप के धन से धनवान होकर वह और भी अधिक पाप करता रहता था। वहाँ से मरकर ही वह शकट कुमार बना था।
एक बार अमात्य ने शकट को सुदर्शना से स्नेह करता देखा। वह जल-भुन गया और राजा से शिकायत की। राजा ने
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