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पुरुष की शक्ति : ३६.
कोणिक लौट गया। विचारों को ज्योति अपने साथ लेकर । कोणिक अब भक्त था, विनम्र था और विनीत था !
-उववाइ सुत्त, निरया०, अ० १/.
कोणिक और चेटक का युद्ध !
हल्ल और विहल्ल-दोनों कोणिक के सहोदर भाई थे और चेलना के अंगज पुत्र थे। अपने जीवनकाल में राजा बिम्बसार श्रेणिक ने अपने हाथों से.हल्लकुमार को आसेचनक गन्ध हस्ती और विहल्लकुमार को अठारह लड़ी का वंक हार दिया था। राज्य की दोनों वस्तुएँ रत्न थे।
कोणिक की रानी पद्मावती को इस बात की बहुत दिनों से जलन थी। कोणिक ने एक बार स्पष्ट ही कह दिया था : ___ "इन दोनों वस्तुओं पर मेरा कोई अधिकार नहीं है। पिता जी ने अपने हाथों से उन्हें ये वस्तुएँ दी हैं। और फिर, हल्लविहल्ल मेरे भाई हैं। उनकी वस्तु मेरी ही वस्तु है।" परन्त पद्मावती के तिरिया हठ से परेशान होकर कोणिक ने हल्लविहल्ल से हार और हाथी की माँग कर ही दी।
हल्ल और विहल्ल ने सोचा : “कोणिक बलवान राजा है। हमारो शक्ति सीमित है। पद्मावती का षड्यन्त्र और कुचक्र शान्त होने वाला नहीं है। आज तो हम से हार और हाथी की मांग की गई है, परन्तु कल हम से वह छीना भी जा सकता
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