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सुबह का भूला घर न लौटा !
मनुष्य का. उत्थान और पतन उसके विचारों और भावनाओं पर निर्भर करता है। सत्य को समझना और समझ कर उसे जीवन में उतारना सुगम नहीं है। सत्य को पाकर भी बहुत-से सत्य पथ से भूल-भटक जाते हैं।
कुण्डलपुर नगर में महाश्रमण महावीर की बड़ी बहिन सुदर्शना रहती थी। जमाली उसका पुत्र था। वह कलाओं में, विद्याओं में तथा धर्म-नीतियों में पारंगत विद्वान था । व्यक्ति की योग्यता कभी छिपी नहीं रहती, जैसे पुष्प की सुगन्ध छिपी नहीं रहती। महावीर की पुत्री प्रियदर्शना के साथ जमाली का शुभ दिवस में विवाह हो गया। विवाह, नर और नारी का एक पवित्र सम्बन्ध है। जमाली और प्रियदर्शना में स्नेह था-वे सुखी थे। ___ भगवान् महावीर एक बार कुण्डलपुर पधारे। जनता ने अमृतवाणी सुनी। जमाली तो इतना मुग्ध हो गया कि अपनी माता से अनुमति लेकर पाँच-सौ क्षत्रिय कुमारों के साथ प्रवजित होकर भगवान् का शिष्य बन गया । प्रियदर्शना के लिए भी अब संसार सूना था। पति का मार्ग, पत्नी का मार्ग है। इस संकल्प से प्रियदर्शना भी एक हजार सहचरियों के साथ भगवान् की शिष्या बन गई। जमाली अपने शिष्य-परिवार के साथ और प्रियदर्शना अपने शिष्या-परिवार के साथ विशाल भारत के ग्रामग्राम और नगर-नगर में धर्म-जागरण का सन्देश देने लगे।
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