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जीवन के अविराम समर में,
कभी हार है जीत कभी। कभी पराजय का रोना है,
गाना जय के गीत कभी ।
फूल न उठना विजय-गर्व से,
दुखी न होना खाकर हार । उठकर गिरना गिर कर उठना,
है यह जीवन का व्यापार ॥
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