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भूले-भटके राहो : १६१ उसका बड़ा बीभत्स था। देखकर गणधर गौतम के मन में आया
"यह ऐसा किस पाप-कर्म से बना ?" गौतम वहाँ से चन्दन पादप बाग में प्रभु के पास लौट आए। गौतम के प्रश्नों के उत्तर में भगवान् ने मगा के पूर्वभव और अनन्तर भावी भवों का वर्णन किया--"अनन्त संसार में परिभ्रमण के बाद मगा अपने पापकर्मों से हल्का होकर महाविदेह से सिद्ध, बुद्ध और मुक्त होगा।"
मगा का जीवन पाप-कर्म की वास्तविक कहानी है। पाप करने वाला ही अपने पाप को भोगता है।
-विपाक श्रु० १, अ० १/.
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