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पुरुष की शक्ति : ६५
के मन में शुभ-कार्य करने का संकल्प या विचार न उठे, वह दूसरा ! मम्मण सेठ के पास धन तो बहुत है, पर वह पाप का धन होने से किसी शुभ-कार्य में खर्च नहीं कर सकता। इस प्रकार का धनमोह मनुष्य का पतन करता है। रात-दिन धन में आसक्ति बनी रहने के कारण ऐसा मनुष्य कोई भी शुभ काम करने में सफल नहीं होता।
"गृहस्थ जीवन के लिए धन आवश्यक तो है, पर वह जीवन का साध्य न होकर साधन ही रहना चाहिए। जीवन के लिए धन है, न कि धन के लिए जीवन ! मम्मण सेठ इतना बड़ा धनी होकर भी जीवन भर दुखी रहा और अन्त में नरक में भी गया। धनमोह का यही परिणाम होता है।
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