________________
पुरुष की शक्ति : ६६
पर, युधिष्ठिर ? युधिष्ठिर तो अपना वही पाठ याद कर रहा है : "सदा सत्य बोलो", "क्रोध मत करो !' आज युधिष्ठिर को नींद नहीं आ रही है। वह सोचता है : "कल गुरुदेव पूछेगे पाठ याद हो गया? तो क्या उत्तर दूंगा? यह पाठ तो बड़ा कठिन है. यह एक या दो दिन में याद हो सकेगा, नहीं होगा !. यह तो कई वर्षों का पाठ लगता है !" __ प्रभात का सुहावना समय है । सूर्य की सुनहली प्रभा स्वर्णसी विकीर्ण हो रही है। आश्रम के चारों ओर वृक्षों के चिकनेचिकने कुसुम कोमल किसलयों पर अद्वितीय चमक परिव्याप्त हो रही है । यह लो, पाठशाला में सब छात्र आ पहुँचे हैं। ___ सम्मुख गुरुदेव विराजमान हैं । वे सब को स्नेह में भीगे नेत्रों से देख रहे हैं । कुछ क्षणों बाद मधुर स्वर में गुरुदेव ने पूछा :
"क्यों ! कल का पाठ याद हो गया? सरल ही तो था !" दुर्योधन-हाँ, गुरु देव ! याद कर लिया। कर्ण-मुझे भी याद है। दुःशासन--- मैंने तो कल हो कर लिया था। भीम-लीजिए, मैं अभी सुनाता हूँ !
भीम की बात पर आचार्य जी मुस्कराये। सब साथी भी हँसने लगे । और गुरु को अपने शिष्यों पर गर्व था।। ___ युधिष्ठिर सिर नीचा किये चुप-चाप बैठा था। वह अपने ध्यान में मग्न था। उसे कुछ पता नहीं, कहाँ क्या हो रहा है। वह तो अपने उसी पाठ का चिन्तन और मनन कर रहा था। युधिष्ठिर को चुप-चाप बैठा देखकर आचार्य जी ने कहा :
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org