________________
पुरुष की शक्ति : ५७
नीचे से रेतो जला रही थी !! फिर भी वे शान्त, प्रशान्त और उपशान्त थे !!! अरिहन्त, महावीर को और अम्बड को उन्होंने भाव-वन्दन किया। अपने ब्रतों की आलोचना की । जीवन का शोधन कर लिया और काल करके वे ब्रह्मदेव लोक में गए। कालान्तर में अम्बड भी काल करके पांचवे ब्रह्मलोक में ही गया। धर्म के प्रति कितनी दृढ़ आस्था थी, उनको !
पाँचवे देवलोक में पहुँचकर अम्बड महाविदेह में दृढ़ प्रतिज्ञ नाम से सिद्ध होगा। सम्पन्न कुल में जन्म लेकर भी और मातापिता द्वारा भोगों की ओर आकर्षित करने पर भी वह भोगों में लिप्त नहीं होगा। जैसे कमल जल में उत्पन्न होकर भी जल से परिलिप्त नहीं होता, वैसे ही दृढ़ प्रतिज्ञ भी संसार के काम-भोगों में लिप्त नहीं होगा। __संसार का परित्याग करके वह दोक्षित होगा । कठोर साधना से, उग्र तप से, संयम से वह अपनी आत्मा को भावित करेगा। अन्त में एक मास की संलेखना कर वह सिद्ध, बुद्ध और मुक्त होगा।
-उववाई सू०/७
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org