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गतिविधियों का पता लगाकर बता देने का काम स्वीकार कर लिया। और अन्न तक वहीं काम किया। इस वजह से वह जी रही हैं। वह एक बदज्ञात औरत है. वह विश्वासपात्र नहीं हैं।" चोकी ने बताया।
"तो तुमने उस पर बलात्कार नहीं किया?" "खुद-ब-खुद आकर पैरों पड़नेवाली औरत पर बलात्कार ही क्यों करें"
"जो तुम कह रहे हो उसे सत्य कैसे माने? सत्य साबित करने के लिए कोई गवाह है?"
"दूसरे गवाह की क्या जरूरत? चाबुक लेकर दो-चार लगा दिये जाएँ तो खुद ही एक देगी।"
"तो इस चाबुक का प्रयोग पहले तुम पर ही क्यों न हो?" "मने झूठ तो नहीं कहा!"
"ह मालूम तो पड़ना चाहिए कि तुमने झूट नहीं कहा। अच्छा, यह बात अभी रहने दो, पहले यह बताओ कि तुम हमारी इस राजधानी में कब और किस की आज्ञा से आये: अकेले आये या और भी?"
मैं और वामशक्ति दोनों साथ आये। हम उनके काम पर आये जिनका हम नमक खा रहे हैं। उनका कार्य हमने पूरी तरह समर्पित होकर किया हैं इसलिए हमें कोई दुःख नहीं।"
"तुम लोग मुप्तचर बनकर ही आये थे?"
"हम किसी से सरोकार नहीं रखना चाह रहे थे। हम पर तुम्हारे मालिक की यह कार्रवाई क्यों?"
"मालिक के आदेश का पालन मात्र हमारा काम है। उनसे सवाल करनेवाले हम कौन होते हैं?"
"तुम्हारा मालिक वह जग्गदेव ही है न?"
"हमें आप शूली पर ही क्यों न चढ़ा दें, लेकिन हमसे यह बात आप जान नहीं सकेंगे।"
"जग्गदेव हो या कोई दूसरा, जिस किसी ने भी उसे युद्ध के लिए प्रेरित किया है वह खुद-ब-खुद प्रकट हो जाएगा । तुमने दण्डनायक के घर में काम पाया कैसे? उन्हीं के घर को क्यों चुना?"
""राजमहल के विषयों की जानकारी यदि मालूम करना पड़े तो बहुत ऊँचे अधिकारियों के घरों से ही सम्भव है। प्रधानजी का घर, मन्त्रियों के घर, दण्डनायक का घर-ये ही समाचार संग्रह करने के योग्य ठिकाने हैं। आपके महादण्डनायक के घर को चुनने का कारण उनकी छोटी पत्नी है। और फिर वह प्रधानजी की
244 :: पट्टमहादेवी शान्तला : भाग दो