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आमन्त्रित करो। मैं भी सहयोग दूंगी।"-उसके मुँह से ऐसी बात की सम्भावना कोई नहीं कर सकता था।
बल्लाल ने एकदम मना कर दिया। लेकिन किसी तरह वह चामलदेवी के अन्तःपुर में चले आयें। जिस दिन र चामलदेवी के अन्तःपुर में आये, उस रात बेखटके सोने का मौका मिला। पश्चात् एक पखवारे के अन्दर ही अन्दर वह उस उद्धेग की भावना से धीरे-धरि अपनी सहज स्थिति में आ गये। शान्तलदेवी की सलाह के अनुसार, यामलक्ष्यों ने अपना बहार समिमा रखा और संयम के साथ पतिदेव के साथ बरतती रही। उसके इस तरह के व्यवहार के कारण महाराज का शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मन भी स्वस्थ हो चला था। हित और मित व्यवहार से उनका जीवन दो पखवारे तक सुख से व्यतीत हुआ। प्रतिदिन परीक्षा करनेवाले महाराज के वैद्य ने चूर्ण और गालियाँ देना बन्द करके केवल शक्तिवर्धक लेह्य-सेबन ही पर्याप्त माना और उसी से उपचार किया।
इस हालत में बिदिव ने महाराज का दर्शन पाया। तब तक चामलदेवी के द्वारा शान्तलदेवी को यह समाचार मिल गया था कि पद्मलदेवी के मन में वह शंका उत्पन्न हो गयी है कि महाराज बल्लालदेव के हाथ से राजगद्दी को छीनने के लिए षड्यन्त्र किया जा रहा है। राजकाज के विषय में इधर-उधर की बातों के सिलसिले में बिट्टिदेव ने कहा, ''मैंने माँ की एक बचन दिया है उसका अक्षर-अक्षर पालन कर रहा हूँ और आगे भी करूँगा। परन्तु मेरा यह वचनपालन केबल दिखावर है...ऐसी एक असंगत वात राजमहल में फैल रही हैं जो मेरे सुनने में आयी है। अचानक कभी यह बात सन्निधान के कानों में पड़ेगी तो सन्निधान आतोंकेत न हों, इसलिए मैं और शान्तलदेवी एक निर्णय पर पहुंचे हैं। वह निणंब, मों को दिये गये वचन को पप्ट करता है। और यह जो असंगत बात फैल रही है उसे रोक देता है। ___ “छोटे अप्पाजी, यह सब-छि हमें मालूम हैं। अविश्वसनीय बात को हम कभी प्रश्रय नहीं देते। तुम और शान्तलदेवी इस सम्बन्ध में कुछ मत सोचो। हम सबकी सुख-शान्ति के लिए, उसमें भी मेरे जीवन को सुख-शान्तिमय बनाने के ही लक्ष्य से, तुम दोनों जो कुछ करते रहे हो और जो सब कर चुके हो-इन दातों से मैं अनभिज्ञ नहीं हैं। कहनेवाले कहते रहें; बेसुरा राग अलापते रहें। वह बेसुरा राग सुनकर खुश होनेवाले लोग हमारे राष्ट्र में बहुत नहीं । तुप दोनों के बारे में यदि हम सन्देह करने लगें तो हम माताजी और पूज्य प्रभु की योग्य सन्तान नहीं कहलाएंगे। हमारी भावनाओं के बारे में तुम्हें आतंकित होने का कोई कारण नहीं।'' बल्लाल ने कहा।
"सन्निधान के स्वास्थ्य पर वे घटनाएँ और ऐसी बातें बहुत परिणामकारी
: :: पट्टमहादेची शान्तला : भाग टो