Book Title: Pattmahadevi Shatala Part 2
Author(s): C K Nagraj Rao
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 418
________________ “जब हम सबने एक साथ पोसल राज्य की सेवा में अपनी इच्छा से अपने को समर्पित करने के उद्देश्य से निर्णय किया, तभी से हम सन्निधान के आज्ञानुवर्ती हो गये न! सन्निधान कहकर सम्बोधित करने में पट्टमहादेवी भी इसमें सम्मिलित हैं-यही हमारी भावना है। अभी इससे ज़्यादा प्रमुख हमारा जो उद्दिष्ट विषय है, जिसके लिए हम आये हैं, सन्निधान के सम्मुख है।'' मंचिदण्डनाथ धोलें। "इस विषय में हम एक निर्णय पर पहुँचे हैं। हमारा विश्वास है कि इस पर हमारी पट्टमहादेवी भी सहमत हैं। इस बात को हम मन्त्रिमण्डल में रखकर, कल अन्तिम निर्णय से सूचित करेंगे। यदि उनमें से कोई आपसे विचार-विमर्श करना चाहेंगे तो आपको कहला भेजेंगे।" बिहिदेव ने कहा। मंचिदण्डनाथ प्रणाम कर चले गये। बाद में बम्पलदेवी भी उटकर महाराज और पट्टमहादेवी को प्रणाम कर अन्तःपुरस्थ राजलदेवी के पास जाने को उधत हुई। उसे लगा कि देखें महाराज की दृष्टि कहाँ है, परन्तु साहस नहीं हुआ। पर हाँ, उसे एक तरह का हर्ष हुआ। वह पुनकित हो उठी थी। इस हर्ष-पुलक के साथ ही वह वहाँ से जल्दी-जल्दी चली गयी। रह गये राजदम्यती मात्र । "सन्निधान का क्या निर्णय है।" शान्तलदेवी ने पूछा। "निर्णय को रहने दें। अभी हमने अपने विवाह के समय चालुक्य पिरियरसी जी चन्दलदेवी की कही गयी बात का स्मरण किया तो पट्टमहादेवी की असन्तोष क्यों हुआ?" __"राजाओं का एक और शत्र होता है उनका भुलक्कड़पन । विवाहोत्सब पर वहाँ जो आयी थीं, वह चालुक्य पिरियरसी नहीं, हग्गड़े मारसिंगय्या जी के यहाँ ठहरी श्रीदेवी थीं।" "अरे हाँ, उस तरफ़ ध्यान ही नहीं गया! अब याद आ रहा है कि तब उन्होंने कहा था कि उनका आना चक्रवती को भी मालूम नहीं।" "समझ लीजिए, अगर हमने मंचिदण्डनाथ को आश्रय नहीं दिया तो, बह बात हमें पेचीदगी में डाल सकती है। सन्निधान को यह सोचना होगा न?" ''क्या होगा, वे अपने देश को लौट जाएँगे।" "उन लोगों ने जो कदम उठाया है, वह चालुक्य चक्रवती को मालूम नहीं अभी तक। अगर हमने आनय नहीं दिया तो वे अपनी पहली जैसी स्थिति में आ सकते हैं। तब कभी प्रसंगवशात् पिरियरसी जी के हमारे विवाह में आने की बात मोचदण्डनाथ के मुँह से निकल गयी तो पिरियरसी जी की क्या दशा होगी इस 122 :: पट्टमहादेवी शान्तला . भाग दो

Loading...

Page Navigation
1 ... 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459