Book Title: Pattmahadevi Shatala Part 2
Author(s): C K Nagraj Rao
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 398
________________ दें, तो डर के मारे लोग इनको छोड़ भी सकेंगे।" . 'वेश्यावृत्ति पर कर लगाएँ, इसमें कोई एतसज्ञ नहीं। इसे अगले साल से ही कार्यान्वित कर सकते हैं। यह इस दिशा में पहला कदम होगा। कर लगाने पर इस बात का पता भी लग जाता है कि राष्ट्र में ऐसे कितने लोग हैं जिनकी वृत्ति वेश्यावृत्ति है। यह दूसरा कदम होगा और फिर इस संख्या को कम करने का प्रयत्न तीसरा कदम होगा।' 'बिट्टिदेव बोले।। पनीसमय्या ने कहा, "कर लगाना दूसरी बात है। लेकिन कर-भार से वृत्ति रुक जाएगी इसमें मुझ विश्वास नहीं। अति कामी स्त्री-पुरुष जब तक रहेंगे तब तक यह वृत्ति रहेगी ही। किसी न किसी रूप में बढ़ रहेगी। वह बुरी है अवश्य, फिर भी एक स्वस्थ समाज के लिए यह आवश्यक है। पारिवारिक जीवन के नीति-नियमों की सीमाओं में रहकर जीनामापन कर रहें सो उसका सम्बन्ध नहीं होगा। इन लोगों की सन्तुष्टि के लिए हो यह वृत्ति है। हाँ, परस्त्री का शीलभंग करनेवालों पर कटिन श्रम की शिक्षा और अधिकाधिक अर्थदण्ड भी दिया जा सकता है।" डाकरस ने बताया, "पेड़-पौधे जिन पर किसी का स्यत्व नहीं, वे गष्ट्र की सम्पत्ति हैं। न काट-कूटकर ईंधन के रूप में तथा अन्य तरह से बहुत उपयोग करते हुए देखा जाता है। उनके उपयोग पर आक्षेप नहीं, पर उस तरह के विशेष उपयांगों पर कर लगाना आवश्यक लगता है।'' शान्तलदेवी ने कहा, “मेंदी-शराब पीकर समाज में ऊधम मचानेवाले भी वेश्याओं की ही तरह समाज के लिए कलंक हैं। उन पर भी कर लगाना होगा। इन पियक्कड़ों की भी संख्या को घटाना चाहिए।' चर्चित इन सभी करों के मद्दों पर विचार करने के उपरान्त, इस वक्त किस पर कितना कर है, उसे बढ़ाना हो तो किस प्रमाण में बढ़ाया जा सकता है और कौन-कौन-से नये कर लगाने के हैं, आदि सभी के ब्यौरे के साथ एक पूरी फेहरिश्त तैयार करने के लिए खजांची दापमय्या को आदेश दिया गया। गत वर्षों में कुल वसूली कितनी थी, और इन नये करों के लगाने पर सम्भावित अधिक धन कितना होगा--इन सभी का एक अनुमानित लेखा-जोखा तैयार करने के लिए भी उन्हें आदेश दिया गया। "अभी तक अधिक मुल्यवालो मुहरों का ही उपयोग लेनदेन के व्यवहार में किया जाता रहा है। कम मूल्य के सिक्के नैयार करेंगे तो छोटे-छोटे लेनदेन के व्यवहारों में विशेष सुविधा रहेगी, इसलिए सरकारी टकसाल में इन सिक्कों को तैयार कराना ठीक होगा।” प्रधान गंगराज ने सुझाव दिया। ___ हौं, यह किया जा सकता है। परन्तु अन्य लोगों को इन्हें तैयार नहीं करना 452 :: पट्टमहादेवी शान्तला : भाग दो

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