________________
इस बात को लेकर आपको पाथापच्ची नहीं करनी चाहिए, रानीजी। किसी के शीलं को दाँव पर लगाकर राष्ट्र की रक्षा करने की बात नहीं है यह 1 अपने स्वार्थ के लिए शील नष्ट करनेवाली दामख्या जैसी स्त्रियाँ भी हैं। ऐसे लोगों से यह कार्य नहीं बनता। ऐसी स्त्रियों रणरंगदासियाँ भी बनें तब भी उनसे कोई राष्ट्रहित नहीं होगा। परन्तु मुझ जैसी स्त्रियों में, अपनी इच्छा के विरुद्ध शील भ्रष्ट हुआ तो हममें जो क्रोध की चिनगारी उत्पन्न होगी, उसमें एक विशिष्ट शक्ति होगी। जीवन में एक ही बार किसी का शील भ्रष्ट होता है। फिर जो शील भ्रष्ट हुआ, वह लौटेगा नहीं। इसलिए उस शील को दाँव पर लगाने की बात ही नहीं उठती। इस शोध की शक्ति को राष्ट्रप्रेम में बदलकर ऐसे लोगों को भी सक्रिय बनाकर क्रियाशील बना देना राष्ट्रहित की दृष्टि से बहुत ही अच्छा है। मेरे अपने अनुमव ने मुझे यही पाठ पढ़ाया है। मैं एक साधारण स्त्री हूँ। मेरा अनुभव भी बहुत कम है। यदि इसे मान्यता मिले तो खुशी होगी। ऐसी रणरंगदासियों का एक दल तैयार करने के लिए अनुमति दिलवा दीजिए। ___ "तुम्हारी विचारधारा सुनने पर वह संगत ही मालूम पड़ती है। फिर भी इस तरह के विषय पर जल्दयाज्ञी से निर्णच नहीं करना चाहिए। सोचेंगे' कहना चाहूँ तो भी मेरा पन नहीं मान रहा है। तुम्हारी इस सलाह में इनकार भी नहीं किया जा सकता। रहनं दो। फिर जब युद्ध की बात उठेगी तब विचार कर लिया जाएगा। मायण क्या कहता है ? उसने तुमसे वात की?'' शान्तलदेवी ने पूछा।
"उनका ढंग अलग है। गुस्सा भी जल्दी आता है, प्रेम भी जल्दी हो जाता है। उनका मन अच्छा है। उन्हें इस बात का दुःख है कि कोई सामने यह कहे कि-तुम्हारी स्त्री बुरी है, तो ये कैसे सहेंगे? सुना कि किसी अनैतिक व्यवहार करते देख लेने पर तो वे वहीं कार डालने की बात करते रहे। यह भी कहते हैं-'आओ, परिवार बसाकर जिन्दगी बिताएँगे।' अब आप ही बतलाइए, ऐसी शुद्ध अात्मा को अपने इस जूटन को कैसे सौंपूँ? पहले ही कहा था कि मुझे मर गयी मान लें और दूसरा विवाह कर लें। इस पर उन्होंने पूछा, 'पति के मरने पर पत्नी विधवा बनकर मर सकती है तो पत्नी के मरने पर पति विधुर होकर क्यों नहीं मर सकता? उसे फिर दूसरा विवाह करने की क्या जरूरत?' मुझे कुछ सूझा नहीं कि क्या कहूँ?" चहला ने कहा।
“यदि उसकी सच्ची अभिलाषा हो और परिवार बसाने पर उसे सुख मिलता हो तो क्यों परिवार बसाकर आराम से नहीं रह सकते।" शान्तनदेवी ने कहा।
"उनको भी इच्छा है। परिवार वसाने पर उन्हें सुख भी मिलेगा 1 परन्तु ये लोग कहाँ चुप रहेंगे? कहेंगे, 'तुमको शर्म नहीं, उसने खुद अपने को भ्रष्टशीला घोषित भी किया है। ऐसी स्त्री के साध वह परिवार बसाना क्या उचित काम है ' मैंने
348 :: पट्टमहादेवी शान्तला : भाग दो
.