Book Title: Panchsangraha Part 07
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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गाथा ५८
१३५-१३७ आतप, उद्योत, औदारिकसप्तक, प्रथम संहनन, मनुष्यद्विक, आयुचतुष्क एवं शेष शुभ प्रकृतियों के उत्कृष्ट अनुभाग संक्रम का स्वामित्व उत्कृष्ट अनुभाग संक्रम-स्वामित्व दर्शक प्रारूप
१३७ गाथा ५६, ६०
१३८-१४० जघन्य अनुभाग संक्रम स्वामित्व की सामान्य भूमिका १३८ गाथा ६१
१४०-१४१ अशुभ और शुभ प्रकृतियों के विषय में सम्यग्दृष्टि द्वारा किया जाने वाला कार्य
१४० गाथा ६२
१४२-१४३ घाति एवं आयु चतुष्क प्रकृतियों के जघन्य अनुभाग संक्रम का स्वामित्व
१४२ गाथा ६३
१४३-१४५ अनन्तानुबंधिचतुष्क, तीर्थकरनाम और उद्वलन योग्य प्रकृतियों के जघन्य अनुभाग संक्रम का स्वामित्व
१४४ गाथा ६४, ६५
१४५-१४६ अनुभाग संक्रमापेक्षा मूल प्रकृतियों की साद्यादि प्ररूपणा १४५ गाथा ६६
१४६-१५१ अनुभाग संक्रमापेक्षा अनन्तानुबंधिचतुष्क, संज्वलन कषाय चतुष्क, नवनोकषाय की साद्यादि प्ररूपणा
१५० गाथा ६७
१५२-१५७ शुभ ध्र वबंधिनी चौबीस एवं उद्योत, प्रथम संहनन और औदारिक सप्तक की साद्यादि प्ररूपणा
१५२ मूल एवं उत्तरप्रकृतियों की साद्यादि प्ररूपणा का प्रारूप १५५ गाथा ६८
१५८-१५६ प्रदेशसंक्रम के अर्थाधिकारों के नाम
१५८ प्रदेशसंक्रम के भेद और लक्षण
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