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अध्याय ।
सुबोधिनी टीका। घटसे भिन्न पदार्थ भी घट कहलाने लगेंगे इसी प्रकार उसके नित्य माननेमें घटका कभी नाश नहीं होना चाहिये। इसी तरह और भी अनेक दोष आते हैं इसलिये वस्तुके सदृश परिणमनको छोड़कर उससे भिन्न सामान्य नामक कोई स्वतंत्र पदार्थ नहीं है।
विना व्यक्तिके सामान्यसे कोई प्रयोजन भी तो नहीं निकलता है। गौसे ही दूध दुहा जाता है । गोत्वसे दूध कोई नहीं दुह सकता है । इसी वातको स्वामी विद्यानंदिने अष्टसहस्रीमें लिखा है कि " न खलु सर्वात्मना सामान्यं वाच्यं तत्प्रतिपत्तेरर्थक्रियां प्रत्यनुपयोगात् नहि गोत्वं वाहदोहादौ उपयुज्यते " इसलिये स्वतन्त्र गोत्व जाति कोई चीज नहीं हैं। केवल समान धर्मको ही सामान्य समझना चाहिये।
___ इसी प्रकार विशेष भी दो प्रकार है एक पर्याय दूसरा व्यतिरेक । एक द्रव्यमें क्रमसे होने वाले परिणामोंको पर्याय कहते हैं । जिस प्रकार आत्मामें कभी हर्ष होता है कभी विषाद होता है कभी दुःख होता है, कभी सुख होता है।
एक पदार्थकी अपेक्षा दुसरे पदार्थमें जो विलक्षण परिणाम है उसे व्यतिरेक कहते हैं। जिस प्रकार गौसे भिन्न परिणाम भैसका होता है । पुस्तकसे भिन्न परिणाम चौकीका है, इसी लिये गौसे भैंस जुदी है तथा पुस्तकसे चौकी जुदी है
जिस प्रकार * सामान्य स्वतन्त्र नहीं है । इसी प्रकार विशेष भी वस्तुके परिणमन विशेषको छोड़ कर और कोई वस्तु नहीं है । जो लोग सर्वथा विशेषको द्रव्यसे भिन्न ही। मानते हैं वे भी युक्ति और अनुभवसे शून्य हैं।
विशेष द्रव्यों का स्वरूपजीवाजीवविशेषोस्ति द्रव्याणां शब्दतार्थतः।
चेतनालक्षणो जीवः स्यादजीवोप्यचेतनः ॥ ३ ॥ अर्थ-द्रव्यके मूलमें दो भेद हैं जीव द्रव्य और अजीव द्रव्य । ये दोनों भेद शब्दकी अपेक्षासे भी हैं और अर्थकी अपेक्षासे भी हैं। जीव और अजीव ये दो बाचक रूप शब्द हैं। इनके वाच्य भी दो प्रकार हैं एक जीव और दूसरा अजीव । इस प्रकार शब्दकी अपेक्षासे दो भेद हैं । अर्थकी अपेक्षासे भी दो भेद हैं। जिसमें ज्ञान दर्शनादिक गुण पाये जाय, वह जीव द्रव्य है और जिसमें ज्ञान दर्शन आदिक गुण न पाये जाय वह अजीव द्रव्य है।
भावार्थ- जित्तियमित्ता सद्दा तित्तियमिताण होंति परमत्था " जितने शब्द होते हैं उतने ही उनके वाच्य रूप अर्थ भी होते हैं । जीव, अजीव ये दो शब्द हैं इसलिये जीव
* सामान्य और विशेषका विशेष कथन " अष्टसहस्री "मैं " सत्सामान्यातु सवैक्य पृथग्द्रव्यादि भेदतः । भेदाभेदविवक्षायामसाधारणहेतुवत्" इस कारिकाकी व्याख्या विस्तारसे किया है।