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श्रीसवाल जाति का इतिहास
मेहता मालदासजी
__ मेहता मालदासजी भोसवाल समाज के शिशोदिया गौत्र के सजन थे। ये बड़े वीर और पराक्रमी थे। महाराणा भीमसिंहजी के समय में सारे राजपूताने में मराठों का बहुत प्राबल्य हो रहा था । इसी समय में सोमजी गाँधी महाराणा के प्रधान थे। उन्होंने मरहट्ठों को अपने देश से निकालने के लिये कई उपाय सोचे । अन्त में, जब सं० १९४४ में लालसोट नामक स्थान पर जयपुर और जोधपुर की सेना द्वारा मरहट्टे पराजित हो चुके, तब उक्त अवसर को ठीक समझ कर सोमजी ने मेहता मालदासजी को कोटा एवम् मेवाड़ की संयुक्त सेना का सेनापति बनाकर मरहट्ठों पर हमला करने के लिये भेजा।
वीर सेनापति मालदास बड़े उत्साह से दोनों सेनाओं का नेतृत्त्व ग्रहण कर उदयपुर से रवाना हुए। रास्ते में आने वाले ग्राम निम्बाहेड़ा, नकुम्प, जीरण आदि स्थानों पर अधिकार करते हुए आप जावद नामक स्थान पर पहुंचे, जहाँ कि सदाशिवराव नामक मरहट्ठा सेनापति मुकाबला करने के लिये पहले ही से तैयार बैठा था। कुछ दिनों तक दोनों ओर को सेना में मुकाबिला हुआ। अन्त में सदाशिवराव कुछ शर्तों के साथ शहर छोड़कर चला गया। इस प्रकार मेहताजी के प्रयत्न से उनके ही सेनापतित्व में मेवाड़ी सेना ने मरहट्ठी सेना पर विजय प्राप्त की।
कहना न होगा कि उपरोक्त समाचार विद्युत वेग से राजमाता देवी श्री अहल्याबाई के पास पहुँचा उन्होंने शीघ्र ही बुलाजी सिंधिया एवम् श्रीनाई नामक दो व्यक्तियों की अधीनता में अपने ५०.० सवार सदाशिवराव की सहायतार्थ भेजे। यह सेना कुछ समय तक मंदसोर में ठहर कर मेवाड़ की ओर बढ़ी। उधर महाराणा ने भी मुकाबला करने के लिये मेहता मानवास की अधीनता में सादड़ी के सुल्तानसिंह, देलवाड़े के कल्याणसिंह, कानोड़ के रावत जालिमसिंह, सनवाड़ के बाबा दौलतसिंह आदि राजपूत सरदारों तथा सादिक, पूँजू वगैरह सिंधियों को अपनी २ सेना सहित मरहट्ठों के मुकाबले के लिये रवाना किया।
वि० सं० १८४४ के माघ मास में दोनों ओर की सेना का हरकियाखाल नामक स्थान पर मुकाबला हुमा । दोनों ओर के वीर अपनी वीरता और बहादुरी का परिचय देने लगे। इस युद्ध में मेवाड के मन्त्री मेहता मालदासजी, बाबा दौलतसिंहजी के छोटे भ्राता कुशलसिंहजी आदि अनेक वीर राजपूत सरदार एवम् पूँजू आदि सिंधी लोग बीरता से लड़ अपने स्वामी के लिये, अपने अपूर्व वीरत्व का परिचय दे, वीर गति को प्राप्त हुए।
कर्नल टाड साहब ने मेहता मालदासजी के लिये एनान्स आफ मेवाड़ नामक ग्रन्थ में एक स्थान