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नियुक्ति साहित्य : एक पर्यवेक्षण प्रयुक्त प्रति-परिचय
नियुक्ति की प्रायः हस्तप्रतियां स्पष्ट एवं साफ-सुथरी मिलीं। आचारांग एवं सूत्रकृतांग की निर्मुक्तियां दीमक लगने से कहीं-कहीं स्पष्ट नहीं थीं। कुछ प्रतियों के पन्नों में पानी या सीलन लगने से भी अक्षर अस्पष्ट हो गए थे। सूत्रकृतामनियुक्ति की एक प्रति से अनेक प्रतियों की लिपि की गयी है फिर भी उनमें आपस में काफी अंतर है। यहा संपादन में प्रयुक्त हस्तप्रतियों का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया जा रहा हैदशकालिक नियुक्ति
(अ) यह तेरापंथ धर्मसंघ के हस्तलिखित भंडार से प्राप्त है। यह २८ सेमी. लम्बी तथा ११ सेमी. चौड़ी है। इसमें कुल ९ पत्र हैं। अन्तिम पत्र खली है। इसमें ४४.४ ग्रंथान है। यह भाष्य मिश्चित नियुक्ति की प्रति है। इसके अंत में श्री दशकालिकनियुक्ति: संवत् १४९५ वर्षे भाघ सुदी १४ श्री पत्तनमहानगरेऽलेखि।।" का उल्लेख है। पत्र में अक्षर स्पष्ट हैं।
(ब) यह लालभाई दलपतभाई विद्यामन्दिर, अहमदाबाद से प्राप्त है। यह २५.५ सेमी. लम्बी तथा ११.५ सेमी. चौड़ी है। इसकी क्रमांक सं. १६२५६ है। इसमें कुल १२५ पत्र हैं, जिसमें १२०-२५ तक पांच पत्रों में दशकालिक नियुक्ति लिखी हुई है। पानी से भीगी तथा अक्षर महीन होने से इसके पाठन में असुविधा होती है। इसमें अंत में ग्रंथान ४४४ बतलाया है। यह भी भाष्य मिश्रित नियुक्ति की प्रति है। इसमें लिपिकर्ता और लेखन-समय का कोई निर्देश नहीं है। अनुमानत: इसका लेखन-समय विक्रम की पन्द्रहवीं शताब्दी होना चाहिए।
(रा) यह राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, बीकानेर से प्राप्त है। इसकी क्रमांक संख्या १९२० है। यह ३१ सेमी. लम्बी तथा १२.५ सेमी. चौड़ी है। इस प्रति के प्रारम्भिक ३८ पत्रों में दशवकालिक की टीका है। नियुक्ति ३९ वें पत्र से प्रारम्भ होकर ४७ ३ पत्र पर समाप्त होती है। प्रति बहुत स्वच्छ एवं साफ-सुथरी लिखी हुई है। इसके अंत में "दसवेकालिकनिज्जुत्ती सम्मत्ता गाथा ४४८ श्लोक संख्या ५५८ शुभं भवतु" लिखा हुआ है। यह करीब पन्द्रहवीं शताब्दी की प्रति होनी चाहिए। . (अचू) अगस्त्यसिंह कृत चूर्णि, जो प्राकृत ग्रंथ परिषद्, अहमदाबाद से प्रकाशित है। इसके संपादक मुनि पुण्यविजयजी हैं। इसमें प्रकाशित नियुक्ति-गाथा के पाठान्तर अचू' से निर्दिष्ट हैं।
(जिचू) ल्थविर जिनदासकृत चूर्णि, जिसमें नियुक्ति-गाथा पूरी नहीं अपितु संकेत रूप से दी हुई है। यह ऋषभदेव केसरीलाल श्वे. संस्था, रतलाम से प्रकाशित है। इसके पाठान्तर जिचू से निर्दिष्ट हैं।
(अचूपा.) अगस्त्यसिंह कृत चूर्णि के अंतर्गत पाठान्तर। (जिचूपा) जिनदासकृत चूर्णि के अंतर्गत उल्लिखित पाठान्तर।
(हाटी) दशवैकालिक की आचार्य हरिभद्रकृत टीका में स्वीकृत नियुक्ति-गाथा के पाठ। यह देवचन्द्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार से प्रकाशित है।
(हाटीपा) हारिभद्रीय टीका के अंतर्गत संकेतित पाठान्तर । (भा) हारिभद्रीय टीका में प्रकाशित भाष्य गाथा के पाठान्तर ।