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दशकालिक नियुक्ति ४२. हिंसा का प्रतिपक्षी तत्व अहिंसा है। उसके चार विकल्प है
१. द्रव्यतः अहिंसा भावतः अहिंसा । २. द्रव्यत: अहिंसा भावतः हिंसा । ३. द्रव्यतः हिसा भावतः अहिंसा।
४. व्यतः हिंसा भावतः हिंसा 1 ४३. संयम के सत्तरह भेद है-पृथ्वी संयम, पानी संयम, अग्नि संयम, वायु संयम, बनस्पति संषम, दीन्द्रिय संयम, त्रीन्द्रिय संमम, चतुरिन्द्रिय संयम, पंचेन्द्रिय संयम, अजीब (उपकरण) संयम, प्रेक्षा संयम, उपेक्षा संयम, प्रमार्जन संयम, परिधापन इंस, मन संयम, वचन संयम और काय संघम । ___४. बाह्य तप के छह प्रकार है-अनपान, ऊनोदरी, वृत्तिसंक्षेप, रसपरित्याय, कायक्लेश और प्रतिसलीनता।
४५. आभ्यन्तर तप के छह प्रकार है- प्रायश्चित्त, विनय, यावृत्य, स्वाध्याय, ध्यान और व्युत्सर्ग।
४६. वीतराग के वचन सत्य ही है फिर भी श्रोता की अपेक्षा से कहीं उदाहरण और कहीं हेतु भी दिया जाता है।
४७. यह हेतु कहीं-कहीं पंच अवयवात्मक (प्रतिज्ञा, हेतु, दुष्टान्त, उपनय और निगमन) होता है और कहीं-कहीं दस अवयवात्मक भी होता है। हेतु और उदाहरण सर्वथा प्रतिषिद्ध नहीं हैं, फिर भी यहां इन सबका विवेचन नहीं किया गया है, क्योंकि दूसरे आगमों में इनका विश्लेषण पक्षप्रतिपक्ष सहित किया गया है।
४७१. आहरण (उदाहरण) के दो भेद हैं। वे दोनों भेद चार-चार विभागों में विभक्त है। हेतु के चार भेद हैं । इससे प्रतिज्ञात अर्थ की सिद्धि होती है।
४८. दो और चार भेदों में विभक्त उदाहरण के ये एकार्थक शब्द है-शात, उदाहरण, दृष्टान्त , उपमा और नियर्थन ।
४१. उदाहरण के दो भेद हैं-यरित और कल्पित । इन दोनों में प्रत्येक के चार-चार भेद हैं- आहरण, तद्देश, तद्दोष और उपन्यास ।
५०. आहरण के पार भेद है-अपाय, उपाय, स्थापना और प्रत्युत्पन्न-बिनाश। अपाय के चार भेद हैं-द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव ।
५१. द्रष्य अपाय का उदाहरण-दो वणिक भाई धमार्जन के लिए दूर देश गए। जब ये अजित धन को लेकर स्वदेश आने लगे तब धन के लोभ से उनमें एक-दूसरे को मारने का अध्यवसाय उत्पन्न हुआ। धन को अनर्थकारक समझकर उन्होंने उसको तालाब में फेंक दिया। उसे एक मत्स्य निगल गया। उस मत्स्य के पेट से निकले हुए धन से अपनी मां की मृत्यु देखकर बे विरक्त हो गए
और अन्त में मूनि बन गए ।' १. देखें-परि० ६, कथा सं० ।।