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विषयानुक्रम
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३२.
छछेदसूत्रकार प्रथम भद्रबाहु को नमन । धौथी दशा : गणि-संपदा द्रव्य तथा भावदशा का उल्लेख।
२५. द्रव्यगणी तथा भावमणी का स्वरूप । आयू के आधार पर जीव की दस २६. जात शब्द के एकार्थक तथा आचार्य के अवस्थाएं ।
शानी होने का निर्देश । अध्ययन दशा के कथन की प्रतिज्ञा ।
आचार्य के 'आचारधर' होने का उल्लेख । विविध प्रकार से क्शा का उल्लेख ।
२८, गणि आचार्य की विशेषता । आधारवशा का स्थविरों द्वारा निर्वृहण का २९. संपदा शब्द के निक्षेप । संकेत ।
आचार्य को हाथी की उपमा तथा उसका प्रस्तुत गंध के अध्ययनों को कथन की प्रतिज्ञा।
उपसंहार। दश अध्ययनों के नाम ।
पांचवी दशा : चित्तसमाधिस्थान पहली दशा : असमाधिस्थान
चित्त तथा समाधि शब्द के निक्षेप । द्रव्य तथा भाव-समाधि का स्वरूप ।
द्रव्य चित्त का स्वरूप । १०. स्थान शब्द के पन्द्रह निक्षेप 1
भाव चित्त का स्वरूप । बीस असमाधिस्थान के अतिरिक्त भी २३३२. ट्रम्प तथा भाव समाधि कास्तरूप ! मसमाधि स्थानों का उल्लेख ।
चित्त समाधि के स्थानों में यतना करने का बूसरी वशा : सबल दोष
निर्देश। द्रष्प तथा भाव सबल का स्वरूप ।
छठी दशा: उपासक-प्रतिमा सबल दोष की मर्यादा ।
उपासकों के प्रकार तथा द्रव्य और तदर्थक घडे एवं वस्त्र की भिन्न-भिन्न अवस्थाओं
उपासक का स्वरूप। द्वारा विराधना का वर्णन ।
मोह उपासक का स्वरूप । तीसरी दशा : आशातना
भाव उपासक का स्वरूप। आशातना के दो भेदों का उल्लेख। ३८, केवली द्वारा अगार और अनगार धर्म का लाभ आसादना का स्वरूप।
उपदेश। द्रव्य आदि आसादना का उल्लेख ।
उपासक और प्रावक में अन्तर ।
प्रतिमाओं के भेद । छठे और आठवें पूर्व में 'आ' उपसर्ग के
उपासक तथा भिक्षु प्रतिमाओं की संख्या वर्णन का उल्लेख तथा आशातना का
का उल्लेख निरुक्त।
४३. गृहस्थ धर्म तथा साधु धर्म का आशातना का स्वरूप ।
मुखावोध । उत्कर्ष (अभिमान) के परित्याग का ४४. साधओं को तप, संयम में उद्यम करने का निर्देश ।
निदेगा। पारीकर्मा जीव का स्वरूप ।
उपासक की बारह प्रतिमाओं का आशातना किसकी?
नामोल्लेख । हलुकीं जीव का स्वरूप ।
सातवी वसा : भिक्षु-प्रतिमा गुरु की आशातना से ज्ञान, दर्शन आदि ४५. भिक्ष, उपधान और प्रतिमा शब्द के का नाश तथा विराधना ।
निक्षेप।
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४१.