Book Title: Niryukti Panchak
Author(s): Bhadrabahuswami, Mahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 734
________________ ६.३६ नियुक्तिपंचक को टालने के लिए असांभोजिक मुनि को जागरूक करना तथा कर्मादान से विषण्ण गृहस्थ को जागरूक करना उपेक्षा संयम है। ( दशअचू. पू. १२) ठस्सूलग - खाई। उस्सूलगा णाम खातिओ उवाया जत्थ परबलाणि पडति । वह परिखा, जहां शत्रुसेना गिर पड़ती है, उसे उस्सूलक कहते हैं। एग - शुद्ध आत्मा। एगो नाम रागद्दोसरहितो । एक अर्थात् राग-द्वेष रहित शुद्ध आत्मा । एगचर - एकचर। एकचरो नाम एक एवासौ चरति, न तस्य सहायकृत्यमस्ति । जो अकेला चलता है, जिसका कोई सहयोगी नहीं होता, वह एकचर है। शरद्काल की रात्रि में मेघोत्पन्न स्नेह विशेष को ओस कहते हैं। कंदण - क्रन्दन। कंदणं महता सद्देण विरवणं संपओग-विप्पओगत्थं । संयोग और वियोग के लिए जोर-जोर से चिल्लाना क्रन्दन है | कप्पित - कल्पित कम्पितं असन्भूतमवि अत्थसाहणत्यमुपपादिज्जति । असद्भूत अर्थ की सिद्धि के लिए किया जाने वाला प्रयत्न कल्पित है । ( सूचू. १ पृ. १०६ ) ओगाहरुइ — अवगाढ़रुचि । ओगाहरुई नाम अणेगनयवायभंगुरं सुयं अत्यओ महता संवेगमावज्जइ एस ओगाहरूई । जो अनेक नय और वादों-विकल्पों से युक्त गंभीर श्रुत के अर्थ को तीव्र संवेग से ग्रहण करता है, वह अवगाद्रुचि कहलाता है। ( दर्शाजचू. पू. ३४) ओय - शुद्ध रागद्दोसविरहितं चित्तं ओअं ति धन्नति सुद्धं । जिसका चित्त राग-द्वेष से शून्य है, जो शुद्ध है, वह ओज कहलाता है। ( दचू.प. २७) ओस्सा - ओस । सरयादसि दिया (दशअचू. पृ. ८८ ) • कब्बडं णाम धुलओ जस्स पागारो । वह गांव, जहां धूल का प्राकार हो, कर्बट कहलाता है। कम्मपुरुष — कर्मपुरुष । कम्मपुरुषो नाम यो हि अतिपौरुषाणि कम्माणि करेति । कर्मपुरुष वह व्यक्ति है, जो अति पौरुषेय कार्य करता I करग - ओला । बरिसोदगं कढिणीभूतं करगो । ( उचू. पृ. १८२ ) ( देश अचू. पू. २१) कब्बड - छोटा गांव | कब्बडं कुणगरं जत्थ जलत्थलसमुब्भवविचित्तभंडविणियोगो णत्थि । जहां जल और स्थल कहीं से भी क्रय-विक्रय नहीं होता, वह कर्यट कहलाता है। ( दर्शाजचू. पू. ३६० ) (उच्. पृ. ६६ ) कलह — कलह । कलाभ्यो हीयते येन स कलहः । जिससे सारी कलाएं क्षीण हो जाती हैं, वह कलह है । (दश अनू. पू. १७ } (आचू. पृ. २८१ ) आकाश से गिरने वाले उदक के कठिन भाग को करक- ओला कहते हैं। ( सूचू. १ पृ. १०२ ) (दश अचू. पू. ८८ ) (उच्च्. पृ. १७१)

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