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नियुक्तिपंचक
को टालने के लिए असांभोजिक मुनि को जागरूक करना तथा कर्मादान से विषण्ण गृहस्थ को जागरूक करना उपेक्षा संयम है।
( दशअचू. पू. १२)
ठस्सूलग - खाई। उस्सूलगा णाम खातिओ उवाया जत्थ परबलाणि पडति । वह परिखा, जहां शत्रुसेना गिर पड़ती है, उसे उस्सूलक कहते हैं। एग - शुद्ध आत्मा। एगो नाम रागद्दोसरहितो ।
एक अर्थात् राग-द्वेष रहित शुद्ध आत्मा ।
एगचर - एकचर। एकचरो नाम एक एवासौ चरति, न तस्य सहायकृत्यमस्ति । जो अकेला चलता है, जिसका कोई सहयोगी नहीं होता, वह एकचर है।
शरद्काल की रात्रि में मेघोत्पन्न स्नेह विशेष को ओस कहते हैं। कंदण - क्रन्दन। कंदणं महता सद्देण विरवणं संपओग-विप्पओगत्थं ।
संयोग और वियोग के लिए जोर-जोर से चिल्लाना क्रन्दन है | कप्पित - कल्पित कम्पितं असन्भूतमवि अत्थसाहणत्यमुपपादिज्जति । असद्भूत अर्थ की सिद्धि के लिए किया जाने वाला प्रयत्न कल्पित है ।
( सूचू. १ पृ. १०६ )
ओगाहरुइ — अवगाढ़रुचि । ओगाहरुई नाम अणेगनयवायभंगुरं सुयं अत्यओ महता संवेगमावज्जइ एस ओगाहरूई ।
जो अनेक नय और वादों-विकल्पों से युक्त गंभीर श्रुत के अर्थ को तीव्र संवेग से ग्रहण करता है, वह अवगाद्रुचि कहलाता है। ( दर्शाजचू. पू. ३४)
ओय
- शुद्ध रागद्दोसविरहितं चित्तं ओअं ति धन्नति सुद्धं ।
जिसका चित्त राग-द्वेष से शून्य है, जो शुद्ध है, वह ओज कहलाता है। ( दचू.प. २७) ओस्सा - ओस । सरयादसि दिया
(दशअचू. पृ. ८८ )
• कब्बडं णाम धुलओ जस्स पागारो ।
वह गांव, जहां धूल का प्राकार हो, कर्बट कहलाता है। कम्मपुरुष — कर्मपुरुष । कम्मपुरुषो नाम यो हि अतिपौरुषाणि कम्माणि करेति । कर्मपुरुष वह व्यक्ति है, जो अति पौरुषेय कार्य करता I
करग - ओला । बरिसोदगं कढिणीभूतं करगो ।
( उचू. पृ. १८२ )
( देश अचू. पू. २१)
कब्बड - छोटा गांव | कब्बडं कुणगरं जत्थ जलत्थलसमुब्भवविचित्तभंडविणियोगो णत्थि । जहां जल और स्थल कहीं से भी क्रय-विक्रय नहीं होता, वह कर्यट कहलाता है। ( दर्शाजचू. पू. ३६० )
(उच्. पृ. ६६ )
कलह — कलह । कलाभ्यो हीयते येन स कलहः ।
जिससे सारी कलाएं क्षीण हो जाती हैं, वह कलह है ।
(दश अनू. पू. १७ }
(आचू. पृ. २८१ )
आकाश से गिरने वाले उदक के कठिन भाग को करक- ओला कहते हैं।
( सूचू. १ पृ. १०२ )
(दश अचू. पू. ८८ )
(उच्च्. पृ. १७१)